रंगमंच के जरिए दिया मैसेज, कड़ी मेहनत से मिलता है मनचाहा लक्ष्य
* डार्क हॉर्स एक अनकही दास्तान का नाट्य रूपांतरण कर दिखाया दिल्ली के मुखर्जी नगर की दस्तां
* कैलाश शादाब के निर्देशन में किया गया नाट्य मंचन
रंगमंच के जरिए दिया मैसेज, कड़ी मेहनत से मिलता है मनचाहा लक्ष्य
रायपुर. संस्कृति विभाग के मुक्ताकाश मंच में नीलोत्पल मृणाल द्वारा लिखित कहानी डार्क हॉर्स पर नाट्य मंचन कर दिल्ली के मुखर्जी नगर में संचालित कोचिंग संस्थानों में पढऩे वाले विद्यार्थियों की सच्चाई को बयां किया गया। इस कहानी का नाट्य रूपांतरण वरिष्ठ रंगकर्मी, लेखक निर्देशक कैलाश शादाब द्वारा किया गया। शादाब ने बताया कि स्वतंत्रता के इतने सालों बाद भी हमारी शिक्षा प्रणाली इतनी सक्षम नहीं हो पाई है कि छात्र ट्यूशन और कोचिंग के मायाजाल से मुक्त हो पाएं। बिना कोचिंग और ट्यूशन के बिना किसी भी क्षेत्र में सफलता पाना संभव होता नहीं दिखता है। कुछ इसी सच्चाई को बताता है उनका यह नाटक डार्क हॉर्स। इस नाटक में बिहार के एक छोटे से गांव में रहने वाले युवा संतोष की कहानी को बताया गया है। वह आईएएस बनने का सपना लेकर यूपीएससी की तैयारी करने दिल्ली के मुखर्जी नगर पहुंचता है। वहां वह यूपीएसकी की तैयारी कर रहे उन विद्यार्थियों से मिलता है, जो उसी की तरह अपने लक्ष्य को पाने के लिए कोचिंग करने पहुंचे थे। नाटक में दिखाया गया कि किस तरह से गांव से गया संतोष अपने लक्ष्य को पाता है। शनिवार को खेले गे इस नाटक में संतोष की भूमिका हरि सोनी ने निभाई जिसे खूब सराहा गया। इसके साथ ज्वाला कश्यप ने चाचा, नगेंद्र सिंह ने जगदानंद, आशीष दास ने विनायक मंत्री, डॉ. लक्ष्मीकांत पंडा ने मनोहर, कृष्ण कुमार मिश्र ने राय साहब, करण तंबोली ने भरत, रवीश एमआर ने विमलेंदु, डॉ. हर्षा कोसले ने विदिशा, मेघा कोसले ने मनमोहिनी, प्रमिला रात्रे ने मयूराक्षी, अल्का दुबे ने संतोष की मां पायल, लालमणि शर्मा ने चायवाला, हिमांशु त्रिपाठी ने ग्रामीण गजेंद्र, नौशाद खान ने रुस्तम सिंह और भरत नवरंग ने जावेद की भूमिका निभाई है। ढाई घंटे के इस नाट्यमंचन में कुल २७ सीन प्ले किए गए, जिसमें पर्दे के पीछे दिनेश धनकर, धनराज यादव, नीलेश देवांगन, आचार्य रंजन मोडक, प्रदीप गोविंद सितूत आदि की विशेष भूमिका रही।
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