अमानक बर्फ का कारोबार शहर में खुलेआम हो रहा है। बिना पीएचई के सर्टिफाइट बोर के पानी का उपयोग बर्फ बनाने में किया जा रहा है। नियम को दरकिनार कर बर्फ फैक्ट्री चल रही है, यह गन्ना रस, जूस व बर्फ गोले के माध्यम से लोगों को हानि पहुंचा रहा है। इसके बावजूद जिला प्रशासन को इस ओर कोई मतलब नहीं है।
शहर में यहां-वहां सज रही शीतल पेय गन्ने और लस्सी, बर्फ के गोले की दुकानों पर मिल रही शीतलता किस कदर आपके स्वास्थ्य के लिए घातक सिद्ध हो सकती है, इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि इनमें इस्तेमाल हो रही बर्फ खाने के लिए बनाई ही नहीं गई। दरअसल इन पदार्थो को ठंडा करने में जिस बर्फ का इस्तेमाल हो रहा है, वह शव को सड़ने से बचाने एवं मांस-मछली को ताजा बनाए रखने में काम आने वाली है।
पत्रिका टीम शहर में बर्फ बनाने वाली एक फैक्ट्री में पहुंची तो वहां बोर के पानी से बर्फ बनाई जा रही थी। यहां बर्फ फैक्ट्रियों में बन रही बर्फ एक ही तरह की होती है। गर्मी में बर्फ की खपत बढ़ जाने के बाद भी अब तक न तो जिला प्रशासन ने इसके जांच की और न ही खाद्य एवं औषधि विभाग इस ओर ध्यान दे रहा है। शवों को सुरक्षित रखने की बर्फ का उपयोग खाद्य पदार्थ में कर जनता की सेहत से खिलवाड़ किया जा रहा।
इसके बाद भी प्रशासन बर्फ का अवैध कारोबार कर रहे कारोबारियों पर मेहरबान है। जिस बर्फ का उपयोग शव को सड़ने से बचाने, मांस-मछली को ताजा रखने में किया जाना चाहिए, उसका उपयोग शहर में बर्फ के गोले, लस्सी एवं जूस में धड़ल्ले से किया जा रहा। शव व मांस-मछली रखने के लिए अलग से बर्फ बनाया जाता है, उसका रंग नीला होना चाहिए, लेकिन शहर में संचालित बर्फ फैक्ट्री में ऐसा नहीं किया जा रहा है।
बिना पीएचई के सर्टिफाइट पानी का उपयोग धड़ल्ले से किया जा रहा है। जबकि नियम है कि पीएचई से सर्टिफाइट पानी का ही उपयोग बर्फ बनाने के लिए किया जाना है। इसके बावजूद शहर में खुलेआम सफेद बर्फ बनाई और बेची जा रही। खाद्य विभाग के आदेश को ठेंगा दिखाते हुए दूषित सफेद बर्फ का निर्माण एवं बिक्री कर धड़ल्ले से जनता की सेहत से खिलवाड़ कर रहे हैं।
शहर में बर्फ निर्माण से जुड़ी दो फैक्ट्रियां हैं। एक बनारी रोड़ में तो दूसरा केरा रोड में संचालित की जा रही है। स्थानीय लोगों का कहना है कि कुछ चोरी-छिपे भी चल रही हैं। गर्मी आते ही शहर में बर्फ की बिक्री का कारोबार बढ़ गया है। शहर में प्रतिदिन एक सैकड़ा बर्फ की सिल्ली खपत हो रही है।
CG Hindi news: इतना खप रहा बर्फ
- 32 फीसदी लस्सी में
- 25 फीसदी आइसक्रीम, मटका कुल्फी में
- 20 फीसदी मांस-मछली में
- 12 फीसदी गन्ना के जूस ठेलों पर
- 11 फीसदी बर्फ के गोले वाले ठेलो-दुकानेां में
CG Hindi news: ये था फैक्ट्री का नजारा
जिस बॉक्स में बर्फ जमाई जाती है, उसके ऊपर लकड़ी के पटिए लगे हैं। इन पटियों के उपर से कर्मचारी जूते-चप्पल पहनकर आते-जाते हैं। ऐसे में जूतों की गंदगी पटियों के छेद से पानी में मिल रही है। इसके साथ ही फैक्ट्री के अन्दर साफ-सफाई का ध्यान नहीं रखा जा रहा है। बर्फ फैक्ट्रियों में हर बार गंदगी के बीच बर्फ बनाई जाती है। गुणवत्ताहीन बर्फ खाने से लोग बीमार हो रहे हैं।
खाद्य सुरक्षा अधिकारी सागर दत्ता ने बताया कि पीएचई से बिना सर्टिफाइट बोर का पानी बर्फ फैक्ट्री में उपयोग नहीं कर सकते है। ऐसा किया जा रहा है तो नियम विरूद्ध है। निरीक्षण कर जल्द ही ऐसे बर्फ फैक्ट्री को सील करने की कार्रवाई की जाएगी।