आम आदमी पार्टी के आनंद राम मिरी भी बीते एक साल से क्षेत्र में बेहद सक्रिय नजर आ रहे हैं। चार महीने पहले जब इन्होंने क्षेत्र में रैली निकाली थी तो उनके प्रदर्शन को देख जनता हैरत में है। वहीं बसपा के डॉ. विनोद शुक्ला ने भी बसपा के तकरीबन 18 हजार कैडर वोटरों के सहारे मैदान पर अपना जोर आजमाइश शुरू कर दी है। कांग्रेस से जिला अध्यक्ष राघवेंद्र सिंह को प्रत्याशी बनाए जाने से कांग्रेस भाजपा में टक्कर माना जा रहा है। भाजपा प्रत्याशी सौरभ सिंह दो बार इस सीट से चुनाव जीतकर चुनाव का कड़ा अनुभव लेकर चुनावी बिगुल फूंक दिया है। जबकि उनका भतीजा राघवेंद्र सिंह अभी जनता के सामने नए प्रत्याशी के रूप में पहली बार मैदान में उतरे हैं। उन्हें नए सिरे से अपनी टीम तैयार करनी होगी।
दो दशक से किसी सीएम ने नहीं रखा पांव अकलतरा विधानसभा में ऐसा मिथक रहा है कि जो भी मुख्यमंत्री रहते हुए यहां आया, दोबारा उसे कभी जीत नहीं मिली। यहां 2002 में मुख्यमंत्री अजीत जोगी आए थे, यहां से जाने के बाद वे दोबारा सीएम नहीं बने। इसके बाद लगातार 15 सालों से तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह भी नहीं आए। बीते पांच सालों में भूपेश बघेल भी एक भी बार यहां नहीं पहुंचे। भेंट मुलाकात कार्यक्रम के उनके शेड्यूल में अकलतरा का नाम भी जुड़ा था, लेकिन अचानक कार्यक्रम रद्द कर दिया गया। शायद उन्हें भी किसी ने अजीब मिथक के बारे में कानाफूसी के दौरान यह बात बताई होगी।