स्कूल में भेदभाव का मटका था या नहीं?
लोग अंदर तक उखड़े हुए है, इन सवालों के जवाब को लेकर। जवाब तो इन्द्रकुमार की मौत भी मांग रही है कि आखिर, पुलिस इसका दूध का दूध और पानी का पानी कब करेगी? सरकार तक इस मौत से हिली हुई है। इन्द्रकुमार की मौत के साथ ही सुराणा गांव सवालों के घेरे में आ गया और मंगलवार को भी यह सिलसिला जारी रहा। आरोपी शिक्षक छैलसिंह ने ऐसा कितना और कैसे मारा कि बच्चे की मौत हो गई? इसका जवाब तलाशा जा रहा है। दूसरा सवाल यह है कि स्कूल में भेदभाव का मटका था या नहीं? पुलिस अभी तक पुष्टि नहीं कर रही है। एफआइआर में मटके का उल्लेख है तो गांव और अन्य लोग बार-बार कह रहे है कि मटका था ही नहीं?
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श्रद्धांजलि देने का सैलाब:
कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंदसिंह डोटासरा सहित प्रदेशभर के पक्ष विपक्ष के कई जनप्रतिनिधि इन्द्र को श्रद्धांजलि देने आ चुके है। मासूम की मौत आंखों को नम कर जाती है। परिजनों के सुनने के साथ न्याय के साथ खड़े होने का भरोसा हर कोई दे रहा है।
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सख्त हो कानून…
स्कूल में मटका था या नहीं? सवाल का जवाब भले ही अनुत्तरित है लेकिन यह सवाल अब प्रदेश ही नहीं देशभर में इन्द्र की मौत के साथ बहुत बड़ा बन गया है कि आखिरी भेदभाव को लेकर कानून की सख्ती कितनी कड़ी होनी चाहिए?