Farmers protest in Jalore: जवाई बांध के पानी को नदी में छोड़ने और किसानों के हित में निर्णय की मांग को लेकर बुधवार को महापड़ाव के 9वें दिन किसानों ने जनप्रतिनिधियों को जमकर कोसा। कहा 50 साल में राजनीतिक लाचारी ही जालोर के कृषि क्षेत्र के चौपट होने का कारण बनी। हर साल चुनावी माहौल में नेता आश्वासन देते हैं और उसके बाद भूल जाते हैं।
किसान नेता अर्जुनसिंह सुराणा ने कहा कि जालोर का हक पाली जिले ने मारा है। पेयजल स्कीम के नाम पर जनता को ठगा गया है। हकीकत में जालोर के हिस्से का यह पानी जालोर में पेयजल स्कीम्स से कई अधिक वहां की कपड़ा फैक्ट्रियों में केमिकल युक्त कपड़ों की धुलाई में उपयोग आ रहा है। इसी के कारण जालोर को पानी नहीं मिल रहा। नदी में पानी तभी छोड़ा जाता है जब उसे बांध में रोक पाना संभव नहीं होता। किसान नेता रतनसिंह कानीवाड़ा ने कहा कि नेताओं की उदासीनता जालोर के पूरे कृषि क्षेत्र के नष्ट होने का कारण बनेगा।
उन्होंने कहा कि जालोर जिला डार्क जोन में है। बारिश भी कम हो रही है। नदी में पानी नहीं मिलने से करीब 200 किमी दायरे के सभी जवाई क्षेत्र के सभी कुएं सूख चुके हैं। किसान नेता बद्रीदान नरपुरा ने कहा कि जवाई हो या माही परियोजना जालोर को हक का पानी मिलना चाहिए। इस बार आश्वासन से काम नहीं चलेगा। महापड़ाव को बाबूलाल जाखड़ी, राणसिंह मेडा, सोनाराम, सेवाराम, पाबूराम विश्नोई, सांवलाराम, छैलसिंह, प्रभुराम, चंदनसिंह मोरसीम, विक्रमसिंह, जीवाराम समेत कई किसान नेताओं ने संबोधित किया।
ट्रेक्टरों में बिस्तर और ईंधन के साथ किसान पहुंचे
किसान नेता रतनसिंह कानीवाड़ा ने कहा कि हर बार चुनावी माहौल में जालोर की जनता को जवाई बांध से पानी दिलवाने का आश्वासन दिया जाता है। लेकिन उसके बाद नेता भूल जाते हैं। इस बार हक तय होने तक आंदोलन जारी रहेगा। इसी कड़ी में किसान महापड़ाव के तहत अपने स्तर पर बिस्तर और ईंधन के लिए लकड़ियां भी साथ लेकर पहुंचे। आंदोलन के दौरान दिनभर उठापटख चली, चर्चा के लिए कोई भी जनप्रतिनिधि या अधिकारी नहीं पहुंचा।
जालोर बंद सफल
वहीं जवाई बांध के पानी पर हक निर्धारण और नदी प्रवाह क्षेत्र में पानी छोडऩे की मांग को लेकर जारी आंदोलन के तहत बुधवार को भारतीय किसान संघ के आह्वान पर घोषित जालोर बंद सफल रहा। महापड़ाव के तहत जालोर बंद को सभी संगठनों का समर्थन मिला। वहीं जिलेभर में इसका बड़ा असर देखने को मिला।