यह है परंपरा मुख्य रूप से पश्चिमी राजस्थान में लाह की परंपरा है, जिसमें किसान एक दूसरे का फसल कटाई में सहयोग करते हैं। परंपरा के तहत 100 की संख्या तक किसान जुटते हैं। फसल कटाई शुरु करने से पहले किसानों में जोश भरने के लिए भरत गायन (परंपरा से जुड़ा पुराना गीत) होता है। लगातार मध्यरात्रि तक फसल कटाई के बाद विश्राम होता है।
मध्यरात्रि में विशेष भोज देर रात को लाह करने वाले किसानों के समूह का विश्राम होता है। इन लाहियों के लिए विशेष रूप से तैयार किया गया दाल-बाटी, लापसी-लहवे को इन्हें भोजन के लिए परोसा जाता है। भोजन करने के बाद लाहिये फिर से जोश के साथ खेत में फसल कटाई में जुट जाते हैं और अल सवेरे 5 बजे तक फसल कटाई करते हैं। अंधेरे में फसल कटाई के दौरान रोशनी की वैकल्पिक व्यवस्था भी की जाती है।