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जालोर

अनूठी परंपरा…लाह की परंपरा में रातों रात कर देते हैं फसल कटाई

फसल कटाई के लिए जुटते हैं किसान, सवेरे तक पूरी फसल एकत्र कर लेते हैं

जालोरApr 01, 2024 / 11:21 pm

Manish kumar Panwar

अनूठी परंपरा…लाह की परंपरा में रातों रात कर देते हैं फसल कटाई

जालोर. खराब मौसम के बीच खेतों में लहलहा रही गेहूं व अन्य फसल कटाई के लिए श्रमिक नहीं मिलने से किसानों को परेशान होना पड़ता है। वहीं सालों से चली आ रही लाह की परंपरा में किसान एक दूसरे का हाथ न केवल मजबूत कर रहे हैं, बल्कि आपसी सहयोग से रातों रात खेतों उगी गेहूं समेत अन्य फसलों की कटाई करते हैं। भीनमाल क्षेत्र के पूनासा में 55 किसानों ने रात में 2.5 हैक्टयर (करीब 16 बीघा) क्षेत्र में उगी गेहूं की फसल की कटाई एक ही रात में पूरी कर दी। किसान नेता विक्रमसिंह पूनासा के खेत में लाह की गई, जिसमें लाहिये एकत्र हुए। शाम करीब 8 बजे लाह (फसल कटाई) शुरु की गई। लगातार करीब 4 घंटे तक फसल कटाई की गई।
यह है परंपरा

मुख्य रूप से पश्चिमी राजस्थान में लाह की परंपरा है, जिसमें किसान एक दूसरे का फसल कटाई में सहयोग करते हैं। परंपरा के तहत 100 की संख्या तक किसान जुटते हैं। फसल कटाई शुरु करने से पहले किसानों में जोश भरने के लिए भरत गायन (परंपरा से जुड़ा पुराना गीत) होता है। लगातार मध्यरात्रि तक फसल कटाई के बाद विश्राम होता है।
मध्यरात्रि में विशेष भोज

देर रात को लाह करने वाले किसानों के समूह का विश्राम होता है। इन लाहियों के लिए विशेष रूप से तैयार किया गया दाल-बाटी, लापसी-लहवे को इन्हें भोजन के लिए परोसा जाता है। भोजन करने के बाद लाहिये फिर से जोश के साथ खेत में फसल कटाई में जुट जाते हैं और अल सवेरे 5 बजे तक फसल कटाई करते हैं। अंधेरे में फसल कटाई के दौरान रोशनी की वैकल्पिक व्यवस्था भी की जाती है।

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