एक मृत्यु प्रमाण पत्र 2003 में तो दूसरा 2023 में हुआ जारी
धुखाराम की 18 दिसंबर 2002 को मृत्यु होने पर परिजनों ने पालिका में मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए आवेदन किया। आवेदन पर पालिका ने 30 दिसम्बर 2002 को रजिस्ट्रेशन कर 4 जनवरी 2003 को धुखाराम पुत्र लखमाजी का मृत्यु प्रमाण पत्र जारी कर दिया। इसके बाद ई-मित्र के माध्यम से ऑनलाइन शपथ पत्र के साथ धुकाराम पुत्र लखमाराम के नाम से मृत्यु प्रमाण-पत्र के लिए आवेदन किया। जिसमें धुकाराम की मृत्यु 20.1.1998 बताई गई। पालिका ने शपथ पत्र के आधार पर 4.1.2023 को मृत्यु प्रमाण पत्र जारी कर दिया।
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इनका कहना…
मेरे पिता की मृत्यु 18 दिसबंर 2002 को हुई। जिसका मृत्यु प्रमाण-पत्र हमने 4 जनवरी 2003 को नगरपालिका से प्राप्त कर लिया था। पिता की मृत्यु के बाद हमारी पुश्तैनी जमीन का नामांतरण नहीं हुआ। कुछ भूमाफियाओं ने पालिका कार्मिकों से सांठ-गांठ कर शपथ पत्र के आधार पर दूसरा मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करवा दिया और केवल हमारी माता के नाम से नामांतरण कर जमीन दूसरों को बेच दी।
– रतनाराम भील,मृतक का बेटा
पहले ऑनलाइन नहीं होने से हो सकता है दो जारी हो गए हो। उसकी जांच करवा देंगे। जन्म या मृत्यु के 21 दिन तक पालिका में रजिस्ट्रेशन करवाना होता है। इसके बाद तहसील कार्यालय से आदेश पर ही जन्म या मृत्यु प्रमाण-पत्र जारी होते है।
– महिपालसिंह, ईओ,नगरपालिका, भीनमाल
रजिस्ट्रेशन व जारी करने की एक ही तारीख
ईमित्र के माध्यम से जारी दूसरे मृत्यु प्रमाण पत्र पर रजिस्ट्रेशन व प्रमाण पत्र जारी करने की तारीख एक ही है। 4 जनवरी 2023 को शपथ-पत्र लिखवाकर ईमित्र पर मृत्यु प्रमाण-पत्र के लिए आवेदन किया गया। इसी दिन पालिका के कार्मिकों ने इसे वेरिफाई कर मृत्यु प्रमाण-पत्र जारी कर दिया। जबकि जिस व्यक्ति की मृत्यु 1998 में हुई उसका मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने में पालिका के कार्मिकों ने एक दिन का भी समय नहीं लिया। वहीं शपथ पत्र के आधार पर मृतक की मृत्यु की तारीख भी बदल ली गई।