देश के कोने-कोने में जाती है जालौन की मटर जालौन में 3 लाख 60 हजार हेक्टेयर भूमि कृषि योग्य है। जिसमें डेढ़ लाख हेक्टेयर भूमि पर किसान, सफेद और हरी मटर का उत्पादन करते हैं। जिसमें 50 हजार हेक्टेयर भूमि पर किसान सिर्फ हरी मटर का उत्पादन करते हैं और यह मटर पूरे देश के कोने-कोने में भेजी जाती है।
किसानों को नहीं मिल पाता है सही मूल्य जालौन से कानपुर के व्यापारी इस मटर की खरीद करते हैं और इसे कानपुर मंडी के माध्यम से छत्तीसगढ़, राजस्थान झारखंड, उड़ीसा, केरला सहित देश के प्रत्येक राज्य में स्टोरेज करके भेजते हैं। इतनी भारी मात्रा में मटर का उत्पादन होने के बावजूद भी यहां के किसानों को इसका सही मूल्य नहीं मिल पाता है।
जालौन में कई किस्मों की मटर की पैदावार होती है। यहां पिछले 10 सालों से कशिउदये, जीएस-10 इटालियन, बीएल-5, दंतेवाड़ा, एपी-3, आईपीएफटी 14-2, आईपीएफटी 13-2, आईपीएफटी 12-2, आईपीएफटी 10-12 मटर की पैदावार हो रही है और यह पैदावार खासी अच्छी मात्रा में हो रही है। जिस कारण किसान यहां पर प्रतिवर्ष उत्पादन बढ़ा देता है। पहले किसान यहां पर मटर 50 से 60 हजार हेक्टेयर भूमि पर करता था, लेकिन उत्पादक क्षमता बढ़ने के कारण डेढ़ लाख हेक्टेयर भूमि पर इसका उत्पादन करने लगा।
उच्च क्वालिटी की है यहां की मिट्टी पूरे देश में जालौन की मिट्टी की प्रजाति उच्च क्वालिटी की है, जिस कारण यहां पर मटर का उत्पादन ज्यादा होता है, यहां जो भी मटर का उत्पादन करता है, उसकी फली और दाना बड़ा होता है। कृषि विज्ञान संस्थान के अध्यक्ष डॉ राजीव कुमार सिंह का कहना है कि मिट्टी की क्वालिटी उच्च प्रजाति की है, अन्य जनपदों की भांति यहां की मिट्टी में रासायनिक तत्व ज्यादा है, जिस कारण यहां मटर की फली बड़ी और दाना उच्च क्वालिटी का होता है। उन्होंने बताया कि आईसीआर के डीडीसी एग्रीकल्चर द्वारा यहां की मिट्टी की जांच की गई, जिसमें महत्वपूर्ण रसायन और उत्पादन की क्षमता दिखाई दी, जिस कारण यहां पर मटर की पैदावार अच्छी होती है।
किसानों ने सरकार से की कोल्ड स्टोरेज बनवाने की मांग मटर महोत्सव में आए किसानों ने बताया कि यहां पर कोल्ड स्टोरेज नहीं है, जिस कारण कई किसान मटर की पैदावार नहीं करते है, और जो किसान पैदावार करते है, उन्हें अपनी मटर को व्यापारियों को बेचना पड़ता है। जिसके कारण उनकी आमदनी कम हो जाती है। किसानों ने मांग की कि यदि सरकार जालौन में कोल्ड स्टोरेज बना दें तो किसान स्वयं ही अपनी मटर को बेच सकेगा और उसे अपनी आमदनी भी बड़ा सकेगा। वहीं किसानों का कहना है कि मटर का एमएसपी तय किया जाए, जिससे किसानों को फायदा हो सके और उनकी आमदनी बढ़ सके।