बिन पानी राज्यपशु ने तोड़ा दम, बढ़ी परेशानी
– पेयजल किल्लत के कारण बढ़ी परेशानी
बिन पानी राज्यपशु ने तोड़ा दम, बढ़ी परेशानी
लाठी. पश्चिमी राजस्थान में यूं तो पेयजल की किल्लत रहती है, लेकिन इंदिरा गांधी नहर आने के बाद भी यदि मवेशी को पर्याप्त पानी नहीं मिले, तो यह जिम्मेदारों की उदासीनता को दर्शाता है। ऐसा ही कुछ देखने को मिला, जब क्षेत्र के खेतोलाई गांव में पानी के अभाव में एक राज्यपशु ने दम तोड़ दिया। जबकि राज्यपशु ऊंट एक बार पानी पी ले तो उसे कई दिनों तक पानी की आवश्यकता नहीं रहती है। ऐसे में सहज की अंदाजा लगाया जा सकता है कि क्षेत्र में जलापूर्ति के क्या हालात होंगे। गौरतलब है कि क्षेत्र में बिगड़ी जलापूर्ति व्यवस्था के कारण कई जगहों पर पशुकुंड व पशुखेलियां सूखी पड़ी है। ऐसे में मवेशी जंगलों में पानी के लिए दर-दर भटककर काल का ग्रास हो रहे है। क्षेत्र के खेतोलाई गांव के पास एक ऊंट ने पानी की तलाश में सूखी पशुखेली में ही दम तोड़ दिया।
कभी कभार ही होती है जलापूर्ति
वन्यजीवप्रेमी राधेश्याम पेमाणी ने बताया कि खेतोलाई गांव के पास निर्मित पशुखेली में कभी कभार ही जलापूर्ति होती है। कहने को पोकरण क्षेत्र के दर्जनों गांवों को इंदिरा गांधी नहर से जोड़ दिया गया है, लेकिन पशुखेलियों व पशुकुंडों में समय पर पर्याप्त जलापूर्ति नहीं होने के कारण पशु आज भी जंगलों में भटकने को मजबूर है। उन्होंने बताया कि एक ऊंट गत कुछ दिनों से पेयजल की तलाश में जंगल में भटक रहा था। खेतोलाई गांव के पास पशुखेली दिखी, तो वह यहां पहुंचा, लेकिन पशुखेली सूखी पड़ी थी तथा ऊंट उसमें बचा थोड़ा बहुत पानी पीने की मशक्कत करता ही अपनी जान गंवा बैठा।
वन्यजीवप्रेमियों ने जताया रोष
क्षेत्र के वन्यजीवप्रेमियों को ऊंट के मौत की जानकारी मिली, तो उन्होंने रोष जताया। उन्होंने बताया कि जिम्मेदारों को कई बार जलापूर्ति व्यवस्था को सुचारु करने के लिए अवगत करवाया जाता रहा है। साथ ही वन्यजीवों व मवेशी के लिए पानी की व्यवस्था को लेकर मांग की जाती है, लेकिन उनकी ओर से कोई ध्यान नहीं दिया जाता है। यहां तक कि क्षेत्र के जनप्रतिनिधि भी इस तरफ कोई ध्यान नहीं दे रहे है। जिसके कारण आए दिन पशुओं व वन्यजीवों की मौत हो रही है।
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