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जैसलमेर

बिजली उत्पादन, पर्यटन और खनन से हजारों करोड़ की कमाई

। सौर और पवन से बिजली उत्पादन, देश-दुनिया के सैर-सपाटा के शौकीन लोगों के पर्यटन और पीले पत्थर के खनन से हजारों करोड़ रुपए की कमाई जैसलमेर के बाशिंदों और उनसे भी बढकऱ सरकारों को हो रही है। इससे हालात में नाटकीय परिवर्तन देखने को मिल रहा है।

जैसलमेरOct 28, 2024 / 08:18 pm

Deepak Vyas

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भारत-पाकिस्तान की पश्चिमी सीमा पर मरुस्थलीय जैसलमेर जिले की किस्मत कई रंग देख चुकी है। सैकड़ों साल पहले यह क्षेत्र सिल्क रूट कहलाता था लेकिन बाद की दो शताब्दियों में जब सिल्क रूट की अहमियत कम हो गई और यह क्षेत्र अकाल व सूखा का स्थायी डेरा बन गया तब यहां के अधिकांश लोगों के सामने पलायन करने की मजबूरी उत्पन्न हो गई और मौजूदा समय में मंजर एक बार फिर बदल चुका है। सौर और पवन से बिजली उत्पादन, देश-दुनिया के सैर-सपाटा के शौकीन लोगों के पर्यटन और पीले पत्थर के खनन से हजारों करोड़ रुपए की कमाई जैसलमेर के बाशिंदों और उनसे भी बढकऱ सरकारों को हो रही है। इससे हालात में नाटकीय परिवर्तन देखने को मिल रहा है। जैसलमेर शहर ही नहीं गांवों तक में समृद्धि की लहर पहुंच चुकी है। हर कहीं पक्के मकान और ऊंची-ऊंची अट्टालिकाएं अब नजर आने लगी हैं।

रुठी लक्ष्मी हुई मेहरबान

दो सौ वर्षों तक अकाल और सूखा की त्रासदी से जैसलमेर आर्थिक रूप से विपन्न बन गया था लेकिन बीते करीब पांच दशकों से इस जिले से प्रतिवर्ष सैकड़ों करोड़ का राजस्व सरकार को मिल रहा है और यहां के लोग सालाना करोड़ों रुपए का कारोबार कर रहे हैं। इस अवधि में जैसलमेर से रूठ चुकी धन की देवी लक्ष्मी पूरी तरह से मेहरबान हो गई। जैसलमेर की किस्मत के लिए पर्यटन, पत्थर, पवन ऊर्जा उत्पादित करने वाले पंखे और सौर ऊर्जा की प्लेट्स ‘गेम चेंजर’ साबित हुए हैं। इन क्षेत्रों से हजारों जिलावासियों के साथ बाहरी लोगों तक को रोजगार नसीब हो रहा है। जिले के जन जीवन में समृद्धि की नई बयार बह रही है। लोगों के जीवन स्तर में जबर्दस्त ढंग से बदलाव आया है। आधुनिक सुख-सुविधाएं शहर व गांवों तक में जन-जन तक उपलब्ध हो चुकी हैं। धनलक्ष्मी की कृपा से जैसलमेर सदियों पुराने वैभव के द्वार पर खड़ा है।

ऐसे हुआ कायापलट

  • बेजोड़ स्थापत्य शिल्प वाले जैसलमेर के लिए पर्यटन व्यवसाय रोजगार का भंडार साबित हुआ। 1970 के दशक के आखिर से प्रारंभ हुए पर्यटन व्यवसाय ने जैसलमेर की तकदीर बदल दी।
  • पर्यटन से 1980 में महज 50 लाख रुपए का कारोबार यानी टर्नओवर संभावित रूप से होता था, वह आज बढकऱ 1500 से 1800 करोड़ रुपए तक पहुंच गया है।
  • हर वर्ष लाखों की संख्या में घरेलू और विदेशी सैलानियों की आवक के चलते जैसलमेर में सैकड़ों होटलें व रेस्टोरेंट्स, दर्जनों ट्रेवल एजेंसियां, हैंडीक्राफ्ट से लेकर अन्य व्यवसाय से जुड़ी दुकानें खुल गई।
  • सीमांत जैसलमेर जिले में तेज गति से चलने वाली हवाओं की बदौलत पवन ऊर्जा उत्पादन के चलते विगत दो दशक में राजस्थान सरकार के खजाने में करोड़ों-अरबों रुपए जमा हुए हैं।
  • इसी तरह से जैसलमेर की भीषण गर्मी कल तक जिस्म जलाने के तौर पर कुख्यात थी लेकिन आज इसी गर्मी से यहां सौर ऊर्जा से हजारों मेगावाट बिजली उत्पादन के प्रोजेक्ट चल रहे हैं।
  • पवन और सौर ऊर्जा उत्पादन के चलते जैसलमेर जिला विद्युत उत्पादन का हब बन चुका है। राज्य सरकार के कोष में यह बिजली करोड़ों रुपए का योगदान कर रही है और जैसलमेर के ठेकेदारों, कामगारों और व्यापारियों पर इसके माध्यम से लक्ष्मी मेहरबान हुई है।
  • जैसलमेर के भूगर्भ में मौजूद पीला पत्थर जिलावासियों के साथ सरकार के लिए किसी पारस से कम नहीं है। उधर, जिले के सोनू गांव से निकलने वाली लाइम स्टोन से देश की कई सीमेंट कम्पनियों में उत्पादन होता है। पूर्व में यही लाइम स्टोन रेलवे के जोधपुर मंडल को सबसे धनवान बनाता था। अब सोनू तक नई लाइन बिछाई जा चुकी है।
  • इसी तरह से जैसलमेर का पत्थर कलात्मक सुंदरता व स्वर्णिम आभा की चमक सात समंदर पार तक बिखेर चुका है। जिले के जेठवाई, मूलसागर, सिपला, माणपिया आदि से निकलने वाले पीले पत्थर व लखा में ग्रेनाइट निकलता है। पत्थर की बदौलत जैसलमेर में लोग लखपति से करोड़पति तक बने हैं। धरती का यह खजाना जैसलमेरवासियों के जीवन में वरदान सिद्ध हुआ है।
  • जैसलमेर जिले के पारेवर बेल्ट में दो सीमेंट उत्पादन संयंत्र स्थापित होने जा रहे हैं। इन पर हजारों करोड़ रुपए का निवेश किया जा रहा है। हजारों स्थानीय व बाहरी लोगों को इससे रोजगार मिलना तय है।
    आज भी अकूत संभावनाएं
    जैसलमेर अब बीते जमाने वाला शहर नहीं रह गया है। धन की देवी लक्ष्मी की पूरी मेहरबानी इस क्षेत्र पर दृष्टिगोचर हो रही है। आने वाले समय में इसके और प्रगति करने की अनेक संभावनाएं मौजूद हैं।
  • मोहनलाल पुरोहित, शिक्षाविद्
    विश्वव्यापी पहचान मिली
    पर्यटन के साथ भूगर्भीय सम्पदा के कारण जैसलमेर में केवल समृद्धि ही नहीं आई है, बल्कि इसकी पहचान दुनिया भर में कायम हुई है। देश के अंतिम छोर पर अवस्थित मरुस्थलीय जिले की पुख्ता पहचान पर गर्व होता है।
  • वीरेन्द्रसिंह सोढ़ा, होटल व्यवसायी

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