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जैसलमेर

…तो 26 के बाद बिना ‘सरकार’ के चलेगा शहर !

जैसलमेर की च्शहरी सरकार यानी नगरपरिषद बोर्ड का कार्यकाल आगामी 26 तारीख तक है। उसके अगले दिन से कायदे से नगरपरिषद बोर्ड का कार्यकाल समाप्त हो जाएगा।

जैसलमेरNov 13, 2024 / 08:19 pm

Deepak Vyas

जैसलमेर की च्शहरी सरकार यानी नगरपरिषद बोर्ड का कार्यकाल आगामी 26 तारीख तक है। उसके अगले दिन से कायदे से नगरपरिषद बोर्ड का कार्यकाल समाप्त हो जाएगा। जबकि इस बार राज्य सरकार ने वन स्टेट-वन इलेक्शन की मंशा के मद्देनजर प्रदेश के 49 शहरी निकायों के चुनाव नहीं करवाए हैं। इन 49 निकायों में जैसलमेर नगरपरिषद शामिल है। जानकारों की मानें तो इस बात की बहुत ज्यादा संभावना है कि 26 नवम्बर के बाद परिषद बोर्ड के अस्तित्व में नहीं होने से सरकार प्रशासक नियुक्त कर काम चलवाएगी। जानकारों के अनुसार वर्ष 1994 के दिसम्बर के बाद करीब 28 साल बाद होगा। गौरतलब है कि संविधान में पंचायतीराज व्यवस्था के अंतर्गत संशोधन होने के बाद 1994 से प्रत्यक्ष चुनाव नए सिरे से करवाए गए थे। तब से जैसलमेर नगरपालिका और 2013 से नगरपरिषद के चुनाव बोर्ड का कार्यकाल खत्म होने से पहले चुनाव प्रक्रिया पूर्ण करवाई जाती रही है। ऐसे में एक के बाद दूसरा अध्यक्ष या सभापति के नेतृत्व में नया बोर्ड मोर्चा संभालता रहा है। लेकिन इस बार हालात एकदम से नए बन गए हैं। राजस्थान में करीब 190 स्थानीय निकाय हैं और इनमें 49 निकायों का कार्यकाल 26 नवम्बर को खत्म हो रहा है।

क्या हैं संभावनाएं

  • माना जा रहा है कि एक राज्य-एक स्टेट की मंशा को पूरा करने के लिए राज्य सरकार अगले वर्ष शहरी निकायों से लेकर पंचायतीराज संस्थाओं के चुनाव भी एक साथ करवाएगी।
  • जिन स्थानीय निकायों के कार्यकाल 26 नवम्बर को खत्म हो रहा है, उनके बोर्ड के मुखिया अध्यक्ष, सभापति या महापौर आदि की जगह पर अब प्रशासनिक अधिकारी को बतौर प्रशासक नियुक्त किया जाएगा।
  • बताया जाता है कि देश के संविधान और राजस्थान नगरपालिका अधिनियम में साफ प्रावधान है कि स्थानीय निकायों का कार्यकाल 5 वर्ष होगा, ऐसे में मौजूदा बोर्ड के कार्यकाल में बढ़ोतरी नहीं की जा सकती।
  • सरकार शहरों में व्यवस्था को बनाए रखने और अपने कार्यकर्ताओं को खपाने के लिए एक कमेटी बनाकर निकायों का संचालन करे।

हकीकत: कामकाज प्रभाावित

इधर जैसलमेर में नगरपरिषद बोर्ड का कार्यकाल खत्म होने के बाद अगर प्रशासक को नियुक्त किया गया तो इससे कई तरह के कामकाज प्रभावित होने की संभावना है। प्रशासक सरकारी अधिकारी होगा। ऐसे में आमजन की उन तक पहुंच सीमित हो जाएगी। जबकि बोर्ड के अस्तित्व में रहने के दौरान वर्तमान में सभापति सहित 45 वार्डों के पार्षद कार्यरत हैं। गली-मोहल्लों से लेकर आवासीय कॉलोनियों व कच्ची बस्तियों तक में निवास करने वाले शहरवासी नगरपरिषद में अपने किसी कार्य के लिए वार्ड पार्षद के पास पहुंचते हैं। कई जने सीधे सभापति और उपसभापति से सम्पर्क करते हैं। जानकारों के अनुसार जनप्रतिनिधियों की ओर से पैरवी किए जाने से लोगों के काम ज्यादा सुविधाजनक हो जाता है, जबकि प्रशासक काल में नौकरशाही के हाथ में एक तरह से पूरी बिसात आ जाएगी। गौरतलब है कि विगत कई वर्षों से भूमि विकास बैंक, सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक, उपभोक्ता होलसेल भंडार के बोर्ड चुनाव नहीं होने से वहां प्रशासक व्यवस्था जारी है।

सरकार ही करेगी फैसला

नगरपरिषद बोर्ड का कार्यकाल पूर्ण होने के बाद किसी भी तरह का कदम उठाने का कार्य राज्य सरकार का है। अभी इस बारे में हमें कोई जानकारी नहीं है।

  • लजपालसिंह सोढ़ा, आयुक्त, नगरपरिषद जैसलमेर

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