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जैसलमेर

सोनार दुर्ग की घाटियों में ‘बेकाबू’ हो रही व्यवस्था

स्वर्णनगरी का विश्व प्रसिद्ध सोनार दुर्ग अपनी ऐतिहासिक धरोहर और स्थापत्य कला के लिए प्रसिद्ध है, लेकिन वर्तमान में यहां दिन में चल रहे बड़े वाहनों ने आमजन की सुरक्षा पर गंभीर संकट खड़ा कर दिया है।

जैसलमेरSep 16, 2024 / 09:02 pm

Deepak Vyas

jsm
स्वर्णनगरी का विश्व प्रसिद्ध सोनार दुर्ग अपनी ऐतिहासिक धरोहर और स्थापत्य कला के लिए प्रसिद्ध है, लेकिन वर्तमान में यहां दिन में चल रहे बड़े वाहनों ने आमजन की सुरक्षा पर गंभीर संकट खड़ा कर दिया है। दुर्ग की संकरी और घुमावदार घाटियों में तिपहिया और चार पहिया वाहनों की अनियंत्रित आवाजाही से न केवल आमजन बल्कि यहां रहने वाले निवासियों और पर्यटकों को भी भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इसकी एक बानगरी सोमवार को देखने को मिली, जब एक वाहन सूरज प्रोल के आगे फंस गया, जिससे आवागमन बाधित हो गया। गनीमत रही कि कोई अप्रिय घटना नहीं हुई। जब एक बड़ा वाहन घाटी में अचानक रुक गया, इससे न केवल वहां जाम लग गया, बल्कि एक बड़ा हादसा होने की आशंका भी पैदा हो गई। यह पहला मौका नहीं था जब ऐसा हुआ हो। आए दिन घाटियों में वाहनों का जाम लग जाता है और दुर्घटनाओं का डर सताता रहता है। जिम्मेदारों की ओर से इन वाहनों को रोकने या नियंत्रित करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं, जिससे समस्या दिन-ब-दिन बड़ी होती जा रही है।

हकीकत यह भी

सोनार दुर्ग में 3 हजार से अधिक लोग निवास करते हैं, जबकि दो दर्जन से ज्यादा व्यापारिक प्रतिष्ठान भी यहां संचालित होते हैं। ऐतिहासिक किले में आवाजाही के लिए घाटियों से होकर गुजरना ही एकमात्र विकल्प है, लेकिन जब तिपहिया और चार पहिया वाहन अनियंत्रित रूप से इन मार्गों पर दौड़ते हैं तो यहां रहने वाले लोगों के लिए स्थिति और चुनौतीपूर्ण हो जाती है। सुबह, खासकर जब विद्यार्थियों और दुर्गवासियों की आवाजाही अधिक होती है, इन भारी वाहनों की बेतरतीब आवाजाही से दुर्घटनाओं का खतरा और बढ़ जाता है। इन दिनों जैसलमेर में पर्यटकों की संख्या बढ़ रही है। आने वाले समय में यह संख्या और भी ज्यादा होगी। ऐसे में अव्यवस्था को समय रहते नहीं संभाला गया, तो यह न केवल स्थानीय निवासियों के लिए, बल्कि पर्यटकों के लिए भी बड़ी परेशानी का कारण बन सकती है।

दिन भर दौड़ते वाहन, दशहरा चौक पर जमघट

सुबह के समय दुर्ग की घाटियों में एक साथ पांच से छह तिपहिया वाहनों को दौड़ते देखा जा सकता है, जिससे यातायात पूरी तरह से अव्यवस्थित हो जाता है। विशेषकर दशहरा चौक पर वाहनों का जमघट आम हो गया है। ऐसे में पैदल यात्रियों, निवासियों और सैलानियों को दिन भर मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।

समाधान: नियंत्रण की दरकार

स्थानीय निवासियों का कहना है कि दुर्ग की घाटियों में वाहनों की आवाजाही के लिए समय निर्धारित किया जाना चाहिए, ताकि इन हादसों की संभावनाओं को रोका जा सके। उनका मानना है कि जिम्मेदारों की निष्क्रियता के कारण यह समस्या लगातार बढ़ रही है। कोई नियम लागू न होने से यह निराशाजनक स्थिति बनी हुई है।

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