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जैसलमेर

नहरी क्षेत्र के लोगों की जिंदगी में घुल रहा कीटनाशक

-फसल उत्पादन बढ़ा तो मौतों का भी बढ़ रहा आंकड़ा-गत ढाई वर्ष में 243 मामले कीटनाशक पीने के आए मामले

जैसलमेरJul 09, 2021 / 12:51 pm

Deepak Vyas

नहरी क्षेत्र के लोगों की जिंदगी में घुल रहा कीटनाशक

नहरी क्षेत्र के लोगों की जिंदगी में घुल रहा कीटनाशक

मोहनगढ़ (जैसलमेर). सरहदी जैसलमेर जिले के नहरी क्षेत्र में कीटनाशक पीने की घटनाएं लगातार बढ़ रही है। औसतन हर दो दिन में एक व्यक्ति के कीटनाशक पीकर स्वास्थ्य बिगडऩे के मामले सामने आ रहे हैं। पाक सीमा से सटे जैसलमेर जिले में इंदिरा गांधी नहर के आने के बाद से मोहनगढ़ क्षेत्र में फसलों की बीजाई अधिक होने लगी है। अधिक उत्पादन लेने के लिए यूरिया या कीटनाशक का उपयोग भी बढ़ा है। नहरी क्षेत्र में लगभग हर घर में कीटनाशक व यूरिया आदि मिल ही जाता है। खेतों बीजाई करने से लेकर फसल के पकने तक कीटनाशकों का बहुत ही अधिक मात्रा में उपयोग किया जाता है। कीटनाशक के सेवन से तबीयत बिगडऩे पर मोहनगढ़ के अस्पताल में आए दिन कीटनाशक के सेवन करने के मरीज उपचार के लिए पहुंच रहे है।
10 मामलों में अस्पताल जाने से पहले ही मौत
क्षेत्र में खेतों में फसलों का उत्पादन बढ़ाने व फसलों को विभिन्न रोगों से बचाने के लिए आए दिन यूरिया या कीटनाशकों का अधिक से उपयोग लिया जा रहा है। खेत में कीटनाशक का छिड़काव करते किसान व काश्तकार उनकी चपेट में आ जाते है। इसके साथ ही कई बार घर में आपसी कहासुनी होने, मानसिक परेशानी होनेए खेत में नुकसान होने, आस पड़ोस के लोगों की ओर से परेशान करने आदि कारणों से कीटनाशक का सेवन किया जा रहा है। पिछले ढाई साल में कीटनाषक सेवन करने के 243 से अधिक मामले सामने आए। इसके अलावा दस अधिक लोगों की अस्पताल पहुंचने से पहले अन्यत्र रैफर करने के दौरान उपचार के दौरान मौत हो चुकी है। वर्ष 2019 में 87, 2020 में 111 व 28 जून 2021 तक 42 जने कीटनाशक पीने के बाद उपचार के लिए मोहनगढ़ के अस्पताल पहुंचे। कीटनाशक के कई मामलों में अस्पताल भी नहीं पहुंच पाए।
एक्सपर्ट व्यू: उपयोग में सावधानी बरतना जरूरी
फसलों का उत्पादन अधिक से अधिक लेने के के प्रयास में कीटनाशकों का अंधाधुंध उपयोग किया जा रहा है। उसके अलावा घर में मामूली कहासुनी होने पर क्रोधवश कीटनाशक का सेवन किया जा रहा है। आमतौर पर कीटनाशक का सेवन करने पर कुछ सावधानी बरतनी जरूरी है। इस संबंध में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अधिकारी डॉ. केआर पंवार का कहना है कि कीटनाशक दो प्रकार के होते है। आर्गेनिक व नॉन आर्गेनिक जिसमें आर्गेनिक ज्यादा खतरनाक होता है। किसी भी व्यक्ति की ओर से कीटनाशक का सेवन किया जाता है तो उसे लगभग दो घंटे के भीतर नजदीकी अस्पताल लेकर जाना चाहिए। इसके साथ सेवन किए गए कीटनाशक की बोतल या डिब्बा भी लेकर जाना चाहिए। उसी के अनुसार उपचार किया जा सकेगा। कीटनाशक के सेवन के बाद कुछ खिलाया या पिलाया नहीं जाए। जितना हो सके उल्टी करवानी चाहिए। खून में जाने के बाद उपचार करना बहुत ही मुश्किल कार्य हो जाता है। इस संबंध में पेस्टीसाइड विक्रेता तरूण कुमार चांडक बताते हैं कि किसान अपने खेतों में फसलों को बचाने व अच्छा उत्पादन लेने के लिए कीटनाशक का उपयोग लेते है। अधिकांश कीटनाशक का प्रयोग फसलों को विभिन्न प्रकार के रोगों व कीटों से बचाव के लिए किया जाता है। ये सभी कीटनाषक मानव शरीर के लिए काफी खतरनाक है।
परेशान व्यक्ति कर रहे कीटनाशक का सेवन
कई बार घर में कहासुनी होने, मानसिक परेशानी होने, कर्ज से परेशान होनेए फसलों के खराब होने पर कीटनाशक का सेवन कर लेते है। मौत होने पर इस संबंध में पुलिस द्वारा मर्ग दर्ज किया जाता है। एसडीएम या तहसीलदार या कोई मजिस्ट्रेट की देखरेख पोस्ट मार्टम करवा कर रिपोर्ट पेश की जाती है। दूसरा कारण कोई परेशान करे, जबरदस्ती कीटनाशक पिलाकर मारने पर धारा 302 में मामला दर्ज होता है। इसके अलावा किसी से परेशान हो कर कोई कीटनाशक का सेवन कर लेता है और मौत होने पर धारा 306 के तहत मुकदमा दर्ज होता है।
-रेवंतसिंह सोलंकी, अधिवक्ता

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