फसलों का उत्पादन अधिक से अधिक लेने के के प्रयास में कीटनाशकों का अंधाधुंध उपयोग किया जा रहा है। उसके अलावा घर में मामूली कहासुनी होने पर क्रोधवश कीटनाशक का सेवन किया जा रहा है। आमतौर पर कीटनाशक का सेवन करने पर कुछ सावधानी बरतनी जरूरी है। इस संबंध में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अधिकारी डॉ. केआर पंवार का कहना है कि कीटनाशक दो प्रकार के होते है। आर्गेनिक व नॉन आर्गेनिक जिसमें आर्गेनिक ज्यादा खतरनाक होता है। किसी भी व्यक्ति की ओर से कीटनाशक का सेवन किया जाता है तो उसे लगभग दो घंटे के भीतर नजदीकी अस्पताल लेकर जाना चाहिए। इसके साथ सेवन किए गए कीटनाशक की बोतल या डिब्बा भी लेकर जाना चाहिए। उसी के अनुसार उपचार किया जा सकेगा। कीटनाशक के सेवन के बाद कुछ खिलाया या पिलाया नहीं जाए। जितना हो सके उल्टी करवानी चाहिए। खून में जाने के बाद उपचार करना बहुत ही मुश्किल कार्य हो जाता है। इस संबंध में पेस्टीसाइड विक्रेता तरूण कुमार चांडक बताते हैं कि किसान अपने खेतों में फसलों को बचाने व अच्छा उत्पादन लेने के लिए कीटनाशक का उपयोग लेते है। अधिकांश कीटनाशक का प्रयोग फसलों को विभिन्न प्रकार के रोगों व कीटों से बचाव के लिए किया जाता है। ये सभी कीटनाषक मानव शरीर के लिए काफी खतरनाक है।
कई बार घर में कहासुनी होने, मानसिक परेशानी होने, कर्ज से परेशान होनेए फसलों के खराब होने पर कीटनाशक का सेवन कर लेते है। मौत होने पर इस संबंध में पुलिस द्वारा मर्ग दर्ज किया जाता है। एसडीएम या तहसीलदार या कोई मजिस्ट्रेट की देखरेख पोस्ट मार्टम करवा कर रिपोर्ट पेश की जाती है। दूसरा कारण कोई परेशान करे, जबरदस्ती कीटनाशक पिलाकर मारने पर धारा 302 में मामला दर्ज होता है। इसके अलावा किसी से परेशान हो कर कोई कीटनाशक का सेवन कर लेता है और मौत होने पर धारा 306 के तहत मुकदमा दर्ज होता है।
-रेवंतसिंह सोलंकी, अधिवक्ता