अगले महीने बढ़ सकता है प्रकोप मलेरिया के फैलाव के दृष्टिकोण से सीमावर्ती जैसलमेर जिला डार्क जोन के रूप में पहचाना जाता है। विशेषकर जब अच्छी मानसूनी बारिश होती है, उसके बाद यहां मलेरिया प्रसार की आशंका ज्यादा रहती है। इस बार भी बारिश का दौर थमने के बाद मलेरिया के मामले ज्यादा सामने आए थे, हालिया दिनों में उनमें गिरावट आई है। वैसे जानकारों की मानें तो सितम्बर के बचे हुए दिनों में एंटी लार्वा गतिविधियों और मच्छरों का सफाया करने के लिए फोगिंग कायदे से नहीं की गई तो अक्टूबर माह में स्थितियां विकट हो सकती हैं। उनके अनुसार मलेरिया प्रसार की दृष्टि से संवेदनशील पहला दौर तो ज्यादा घातक साबित नहीं हुआ और इससे चिकित्सा महकमे ने राहत की सांस ली है लेकिन अक्टूबर में जब हल्की ठंड पडऩे लगेगी तब पानी के जमाव वाले क्षेत्रों से मलेरिया के मामले ज्यादा सामने आ सकते हैं। इनमें मलेरिया पीवी के साथ घातक माने जाने वाले पीएफ के मामले भी शामिल रहेंगे। जवाहिर चिकित्सालय के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. वीके वर्मा ने बताया कि मौजूदा समय में पड़ रही तेज गर्मी ने मलेरिया व डेंगू के प्रसार में कमी की है।
डेंगू और मलेरिया में अंतर
दोनों ही मच्छरों के काटने से फैलने वाली बीमारियां हैं लेकिन इन दोनों में कई अंतर हैं, जैसे डेंगू एडीज मच्छर के काटने से होता है, जबकि मलेरिया एनोफिलीज मच्छर के काटने से होता है। - डेंगू के लक्षण 3 से 7 दिनों के बाद दिखते हैं, जबकि मलेरिया के लक्षण दिखने में 7 से 15 दिन लगते हैं।
- डेंगू में प्लेटलेट काउंट में अचानक गिरावट आ सकती है, जिससे गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
- डेंगू के मच्छर सूर्यास्त से पहले काटते हैं, जबकि मलेरिया के मच्छर सूर्यास्त के बाद काटते हैं।
डेंगू और मलेरिया से बचाव के उपाय - घर के आस-पास की सफाई रखें और कूड़ा-करकट इधर-उधर न फेंकें।
- घर के आस-पास जंगली घास और झाडिय़ां न उगने दें।
- अगर दरवाजों और खिड़कियों पर जाली लगवाना संभव न हो, तो पूरे घर में पायरीश्रम घोल का छिडक़ाव करें।
- डेंगू से पीडि़त व्यक्ति को बीमारी के शुरू के 6-7 दिनों तक मच्छरदानी से ढके हुए बिस्तर पर रखें।
केसेज तो बढ़े हैं लेकिन स्थिति नियंत्रण में
जिले में मलेरिया व डेंगू के केसेज तो बढ़े हैं लेकिन स्थिति नियंत्रण में है। अलग-अलग क्षेत्रों से रोजाना इक्का-दुक्का केसेज आ रहे हैं। जिले भर में टीमें काम कर रही हैं। जहां पानी भरा है, वहां गंपूशिया मछलियां डलवाई जा रही हैं और शहरी क्षेत्रों में फोगिंग करवाया जा रहा है। जिले के ज्यादा जल भराव वाले क्षेत्रों सम, फलसूंड, मोहनगढ़ आदि में भी टीमें लगातार काम कर रही हैं। वर्तमान में मौसमी बीमारियों का भी प्रभाव है। - डॉ. बीएल बुनकर, सीएमएचओ, जैसलमेर