यहां रुमाल बांधने पर पूरी होती है मनोकामना -दर्शन करने पहुंचते हैं नामी गिरामी लोग
जैसलमेर. रूमाल वाली देवी कही जाने वाली तनोट माता के प्रति सरहद के बाशिंदों की ही नहीं बल्कि देश-दुनिया में बसे असंख्य लोगों की आस्था है। हर वर्ष कई नामी-गिरामी हस्तियां यहां दर्शन के लिए पहुंचती है। हाल ही में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत यहां दर्शन करने के लिए पहुंचे थे। उनसे पहले केन्द्रीय गृह अमित शाह भी यहां दर्शन के लिए आए थे। गौरतलब है कि भारत-पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सीमा की निगहबानी का काम जितना सीमा सुरक्षा बल निभा रहा है, बल की उतनी ही हिफाजत सरहदी क्षेत्र में चमत्कारिक तनोटराय माता करती है। वर्ष 1965 में भारत.पाकिस्तान युद्ध के दौरान पाकिस्तान की ओर से करीब 3 हजार बम बरसाए गए थे, लेकिन वे फट नहीं पाए। उनमें से 450 जिंदा बम आज भी मंदिर में माता के साक्षात चमत्कार के तौर पर सजा कर रखे गए हैं। तनोट माता को रुमाल वाली देवी के नाम से भी जाना जाता है। माता के प्रति आस्था रखने वाले भक्त मंदिर में रुमाल बांधकर मन्नत मांगते हैं।
मन्नत पूरी होने के बाद आकर खोलते है रुमाल
मन्नत पूरी होने पर श्रद्धालु माता का आभार व्यक्त करने फिर से आते हैं और रुमाल खोलते हैं। इस परम्परा का निर्वहन आम लोगों की तरह यहां आने वाले मंत्री, प्रशासनिक अधिकारी, सेना व सीमा सुरक्षा बल के अधिकारी व जवान भी करते हैं। बॉर्डर से महज 18 किलोमीटर पहले विशालकाय तनोट मंदिर में आज यात्रियों की सुख-सुविधा के तमाम इंतजाम है। अंतरराष्ट्रीय सीमा क्षेत्र में स्थित तनोटराय देवी के मंदिर में पूजा-पाठ से लेकर व्यवस्थाओं का समूचा जिम्मा सीमा सुरक्षा बल के जवान और अधिकारी ही उठाए हुए हैं। यही कारण है कि यहां आध्यमिकता के साथ देशभक्ति के रंग भी बिखरे नजर आते हैं।06:45 PM