वित्त विभाग को सौंपा
पर्यटन विभाग ने कुछ समय पहले परमाणुनगरी में बंद पड़े गोडावण मिडवे की जमीन व इस पर हुए निर्माण कार्य का डीएलसी दर पर वित्तीय आंकलन कर सम्पत्ति को राज्य सरकार के वित्त विभाग को करीब 56 करोड़ रुपए में दे दिया गया है। अब गोडावण मिडवे की इस सम्पत्ति पर वित्त विभाग का अधिकार हो गया है। पर्यटन विभाग का अधिकार नहीं रहा है। वित्त विभाग इस भवन का किस रूप में उपयोग ले अब यह वित्त विभाग पर निर्भर है।
ऐसा रहा मिड-वे का सफर
वर्ष 1984 में केन्द्रीय नागरिक व उड्डयन मंत्री रहे अशोक गहलोत के हाथों से इस भवन का शिलान्यास किया गया था तथा 6 जनवरी 1988 को गोडावण मिडवे चालू हो गया था। वर्ष 2018 में आमदनी से अधिक खर्च की स्थिति में इसे बंद कर दिया गया।
इन सुविधाओं से युक्त था मिड-वे
लाल पत्थर से निर्मित गोडावण मिडवे के इस भवन में आठ कमरे, डायनिंग हॉल, किचन रूम, स्टाफ के रहने के लिए क्वाटर, जरनेटर गैराज, पानी का टूयबवेल के अलावा 23 बीघा जमीन पर मजबूत चारदीवारी का निर्माण कार्य किया हुआ है। गोडावण मिड-वे पोकरण के सेवानिवृत्त महाप्रबंधक कूम्पसिंह चम्पावत के अनुसार मिड-वे की अपनी एक अहमियत थी पोकरण को पर्यटन रुप में विकसित करने में ऐसे स्थल सहायक होते हैं। वर्तमान में इस हालात में देख कर दु:ख होता है।