बल्ड वैन कई महीनो से ख़राब हालात में खड़ी है। सालाना करोड़ों रुपए के बजट वाले एसएमएस मेडिकल कॉलेज के पास ब्लड वैन ठीक कराने के लिए रुपए नहीं हैं। इसका असर यह है कि रक्तदान शिविरों में एकत्र होने वाला खून निजी ब्लड बैंकों में भेजा रहा है। वैन ठीक कराने के लिए ब्लड बैंक के अधिकारियों ने एसएमएस प्रशासन को कई पत्र भेजे हैं। लेकिन हर बार एक ही जवाब मिलता है। बजट की व्यवस्था की जा रही है। शिविर का आयोजन करने वाली संस्थाएं एसएमएस ब्लड बैंक से संपर्क करती हैं। यहां से वैन नहीं मिलने के कारण उन्हें निजी ब्लड बैंकों से सहयोग लेना पड़ता है। एसएमएस की ब्लड डोनेशन वैन करीब डेढ़ साल से खराब है। एसएमएस अस्पताल में ट्रोमा के रोजाना 40 से अधिक ऐसे केस आते हैं, जिन्हें ब्लड की जरूरत होती है। इनमें से आधे से अधिक के पास डोनर नहीं होते और वह ब्लड बिना किसी डोनर के दिया जाता है।
जयपुर में पिछले साल रक्तदान में 50 हजार से ज्यादा यूनिट एकत्रित
जयपुर में साल 2022 में रक्तदान की बात करे तो 50 हजार 674 यूनिट रक्त एकत्रित किया गया। इनमें रिप्लेसमेंट में 34 हजार 420 यूनिट रक्त एकत्रित हुआ। जो अपने मरीज के लिए बदले में दिया गया। 16 हजार 254 यूनिट रक्त स्वैच्छिक रक्तदान किया गया। इसके अलावा 69 हजार 467 यूनिट सप्लाई किया गया। इसी तरह एसएमएस मेडिकल कॉलेज से जुड़े ट्रोमा ब्लड बैंक में 18 हजार 579, जनाना ब्लड बैंक में 6841, महिला ब्लड बैंक में 5578, जेके लोन ब्लड बैंक में 6123, कांवटिया ब्लड बैंक में 1059 यूनिट को रक्तदान शिविर में एकत्रित किया गया।
इनका कहना है..
दूर दराज के इलाकों से ब्लड लाने के लिए ब्लड डोनेशन वैन की जरूरत होती है। क्योंकि ब्लड के कंपोटेंट के लिए टेंप्रेचर मेंटेन करना होता है। यह सुविधा ब्लड डोनेशन वैन में होती है। यह वैन नहीं होने की वजह से परेशानी का सामना करना पड़ता है।
डॉ बीएस मीणा, ब्लड बैंक, एसएमएस अस्पताल