वहीं, एनआईए के साथ ही जयपुर कमिश्नरेट की टीम ने हालात को देखते हुए मौके पर मौजूद सभी पुलिसकर्मियों को यह जानकारी नहीं दी कि आखिर वे किस गेट से चारों आरोपियों को लेकर जाएंगे। पुलिसकर्मी जिला एवं सेशन न्यायालय, जयपुर जिला के गेट नंबर दो पर तैनात किए गए। जिससे यह लगे कि आरोपियों को उसी गेट से लेकर आया जाएगा। इस कारण सभी अधिवक्ता भी गेट नंबर दो पर ही जमा हो गए। लेकिन, इसी बीच कलेक्ट्रेट सर्किल से पुलिस का काफिला आरोपियों को लेकर गेट नंबर एक से प्रवेश कर गया।
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साथ ही वकीलों का ध्यान भटकाने के लिए कुछ गाड़ियां गेट नंबर दो से भी अंदर गई। अचानक हुए इस बदलाव की जानकारी मौके पर तैनात पुलिसकर्मियों को भी पूरी तरह से नहीं दी गई। जब गाड़ियां गेट नंबर एक पर पहुंची तो पुलिसकर्मी दौड़कर वहां तक गए और चंद मिनट में ही आरोपियों को वकीलों से बचाते हुए सुरक्षा को घेरा बनाकर बिल्डिंग की तीसरी मंजिल पर स्थित कोर्ट रूम में ले गए।
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इधर, कोर्टरूम के बाहर अधिवक्ताओं की भारी भीड़ मौजूद होने के कारण ईआरटी, क्यूआरटी, एसटीएफ समेत जयपुर पुलिस के कई थानेदार और जाब्ता तीसरी मंजिल पर ही पहुंच गया। ऐसे में फिर पुलिस ने रास्ता बदल लिया और आरोपियों को बचाते हुए तीसरी मंजिल से नीचे तक तो ले आई। लेकिन, वहां भारी भीड़ पहले से ही मौजूद थी। जिसके कारण आरोपियों के वकीलों ने थप्पड़ जड़ दिए। हालांकि पुलिस उन्हें बचाकर ले गई। बता दें कि कोर्ट परिसर में 200 से ज्यादा पुलिस के अधिकारी और जवान मौजूद रहे।