जानकारी के मुताबिक मौजमाबाद के सावरदा में रामदेव साहू के घर 1933 में दो जुड़वा बेटे हुए। बड़े का नाम सूरज और छोटे का नाम चांद रखा गया। दोनों के आचार-विचार भी समान थे। ग्रामीणों की मानें तो दोनों भाइयों में यदि एक बीमार होता तो कुछ घंटों ही दूसरा भाई भी बीमार पड़ जाता था।
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करीब 90 वर्षीय बुजुर्ग सूरज की बीमारी के चलते रविवार शाम 5 बजे मौत हो गई। परिजन ने अंतिम संस्कार किया तो छोटे भाई चांद को पता चला कि सूरज नहीं रहा तो सदमा लगने से सोमवार सुबह 5 बजे उसने भी दुनिया छोड़ दी। सूरज और चांद की शादी हरमाड़ा गांव में दो सगी बहनों से हुई थी। सूरज के तीन पुत्र हैं जबकि चांद के आठ पुत्र हैं।