देश की आजादी से पहले राजस्थान में करीब 109 साल पहले सीमेंट फैक्ट्री 1915 में बूंदी जिले के लाखेरी में स्थापित हुई थी। यह प्रदेश की पहली सीमेंट फैक्ट्री थी। अब राज्य में सीमेंट फैक्ट्रियों की संख्या बढ़कर 24 हो गई है। इनमें सालाना 74 मिलियन टन सीमेंट तैयार हो रहा है। बताया जा रहा है कि प्रदेश में 2 सीमेंट फैक्ट्री निर्माणाधीन हैं। इन फैक्ट्रियों की भी उत्पादन क्षमता सालाना 3.5 मिलियन टन है। इस तरह सीमेंट का सालाना उत्पादन 77.5 मिलियन टन हो जाएगा। अभी प्रदेश में बड़ी फैक्ट्रियों के अलावा कई छोटे कारखाने भी हैं। प्रदेश में सीमेंट तैयार करने के लिए कच्चा माल आसानी से मिलने की वजह से कई फैक्ट्रियां यहां तेजी से अपना कारोबार बढ़ा रही हैं।
35 हजार करोड़ और निवेश राइजिंग राजस्थान में अकेले सीमेंट क्षेत्र में ही खान विभाग 35 हजार करोड़ से अधिक का निवेश आने का दावा कर रहा है। यह निवेश वर्तमान में चल रहे सीमेंट फैक्ट्रियों की उत्पादन क्षमता में विस्तार और नए प्लांट लगाने सहित विभिन्न कार्यों के लिए आएगा। यदि यह निवेश जमीन पर जल्दी उतारने को लेकर राज्य सरकार ने उद्यमियों के साथ तालमेल बिठाकर काम किया तो राजस्थान सीमेंट उत्पादन में पहले नंबर पर आ सकता है।
इन जिलों में सीमेंट उत्पादन प्रदेश में सीमेंट उत्पादन चित्तौड़गढ़, सवाईमाधोपुर, बूंदी, उदयपुर, सिरोही सहित अन्य कई जिलों में हो रहा है। इन जिलों के साथ ही अन्य कुछ जिलों में सीमेंट क्षेत्र में निवेश को लेकर नए एमओयू हुए हैं। यह आठ कंपनियों के साथ हुए हैं। कंपनियों ने 15 हजार करोड़ से लेकर 160 करोड़ तक के एमओयू किए हैं।
सरकार ऐसे ला सकती तेजी सीमेंट उद्योग को बढ़ावा देने को लेकर राज्य सरकार जमीन अधिग्रहण और चरागाह जमीनों से जुडे मामलों के निपटारे में तेजी लाए। अभी इन अड़चनों के चलते कई खानों में नीलामी के बावजूद खनन नहीं हो पा रहा है। इसके अलावा जैसलमेर क्षेत्र में ट्रांसपोर्ट को बढ़ाए तो जैसलमेर सीमेंट का बड़ा हब बन सकता है।
एमओयू सिर्फ लिखा-पढ़ी, वास्तविक निवेश आने में रात दिन का अंतरः गहलोत प्रदेश में अगले माह होने वाले राइजिंग राजस्थान इन्वेस्टमेंट समिट को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि एमओयू का मतलब सिर्फ आपसी लिखा-पढ़ी से है, जबकि वास्तव में निवेश करने में रात-दिन का अंतर है। निवेश को धरातल पर उतारना जरुरी है।
गहलोत प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की जयंती के मौके पर आयोजित कार्यक्रम के बाद मीडिया से बातचीत में कहा कि एमओयू हमने भी किए थे। एमओयू करने के बाद कितने लोग निवेश करने आते हैं यह देखने वाली बात है। जिस प्रकार से सरकार ने हाई प्रोफाइल कैंपेन चलाया है, इससे ज्यादा उम्मीद बंध गई है।