जयपुर शहर के उत्तर और दक्षिण सर्कल में 10.35 लाख से ज्यादा बिजली उपभोक्ता हैं। इन उपभोक्ताओं के पुराने मीटर बदलकर स्मार्ट मीटर लगाए जाने हैं। पायलट प्रोजेक्ट खत्म होने के बाद अभी तक दोनों सर्कल में यह खाका भी तैयार नहीं हो सका है कि किस सब डिवीजन में कितने स्मार्ट मीटर लगने हैं। बिजली इंजीनियर भी कह रहे हैं मीटर लगने में देरी से डिस्कॉम के राजस्व पर तो असर आ ही रहा है वहीं बिलिंग में गड़बड़ी के मामले भी बढ़ रहे हैं।
ये फायदा स्मार्ट मीटर लगाने का उपभोक्ता सुबह-शाम बिजली खर्च को मोबाइल ऐप पर देख सकेगा। बिजली खर्च नियंत्रित करने की प्रवृत्ति को बढ़ावा मिलेगा। घर बंद होने पर बिजली बिल को लेकर विवाद नहीं होगा।
बिल नहीं चुकाने पर अपने आप कनेक्शन कट जाएगा। मीटर से छेड़छाड़ होगी तो तुरंत डिस्कॉम इंजीनियरों को पता लगेगा। चोरी, छीजत में कमी होने पर विभाग को शत-प्रतिशत राजस्व मिलेगा। जयपुर डिस्काॅम-स्मार्ट मीटर का गणित
45 लाख उपभोक्ता हैं 20 सर्कल में 5 हजार करोड खर्च होंगे स्मार्ट मीटर लगाने पर 27 महीने में कंपनी को लगाने होंगे स्मार्ट मीटर 10 साल तक कंपनी को ही करना होगा स्मार्ट मीटर का रख-रखाव