काना की कलाम से बातें
नाटक की कहानी काना नाम के गरीब लडक़े से शुरू होती है, जो कबाड़ी से किताबें खरीद कर उनसे पढ़ाई करता है। उन किताबों में एक किताब कलाम पर लिखी होती है। काना पहले से ही कलाम के बारे में बहुत कुछ पढ़ चुका था। उस किताब में से एक कलाम साहब का पोस्टर निकलता है जिसे काना अपने घर की दीवार पर चिपका देता है और रोज कलाम से बातें करता है। और उनके आदर्शों पर चलकर अपना लक्ष्य हासिल कर लेता है।


जीवनी और बचपने की यादें
कलाकारों ने नाटक में कलाम की जीवनी, बचपन की यादें, स्कूली शिक्षा, परमाणु परीक्षण, देश को बनाया ताकतवर, देश में एकता का संदेश, ईमानदारी आदि को अभिनय के माध्यम से बताते हुए कहा कि सबसे तेज दिमाग आखिरी बेंच पर भी मिल सकता है।