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जयपुर

SMS अस्पताल की मोर्चरी का हाल बेहाल, काश! शव भी पीड़ा बयां कर पाते?

SMS Hospital Mortuary : काश! शव भी पीड़ा बयां कर पाते तो सवाई मानसिंह अस्पताल की मोर्चरी के ऐसे हालात नहीं होते। एक तो मोर्चरी की इमारत जर्जर हो चुकी है। दूसरे मृतकों के परिजन को यहां पर भी अव्यवस्थाओं से जूझना पड़ता है।

जयपुरApr 23, 2024 / 11:55 am

Omprakash Dhaka

SMS Hospital The Condition of the Mortuary is Bad Dead Body Mortuary Building Dilapidated Post Mortem
SMS Hospital Mortuary : काश! शव भी पीड़ा बयां कर पाते तो सवाई मानसिंह अस्पताल की मोर्चरी के ऐसे हालात नहीं होते। एक तो मोर्चरी की इमारत जर्जर हो चुकी है। दूसरे मृतकों के परिजन को यहां पर भी अव्यवस्थाओं से जूझना पड़ता है। उन्हें छाया-पानी तक नसीब नहीं हो रहा। स्थिति इतनी विकट हो चली है कि शव लाने, ले जाने तक में मुश्किलें आड़े आ रही है।
दरअसल, एसएमएस अस्पताल में आइपीडी टावर का निर्माण जारी है। इस कारण मोर्चरी के सामने महज 10 से 20 फीट का रास्ता ही शेष बचता है जहां से एंबुलेंस या अन्य कोई वाहन निकालना है। इतनी सी जगह में परिजन को शव लाने या ले जाने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। उन्हें वाहन पार्किंग तक की जगह नहीं मिल रही है। कई बार एक ही समय में बड़ी संख्या में लोगों के आने पर परेशानी और बढ़ जाती है। वहां आने वालों को बैठने तक की उपयुक्त जगह नहीं मिलती। ऊपर से भीषण गर्मी और तीखी धूप झेलनी पड़ती है। लोग पेड़ की छाया तलाशते नजर आते हैं। क्योंकि पंचनामा समेत अन्य कानूनी प्रक्रिया पूरी करने, पोस्टमार्टम के बाद शव लेने के लिए परिजन को घंटों यों ही खड़ा रहना पड़ता है।

यह भी सामने आया

पड़ताल में सामने आया कि मोर्चरी को लेकर एसएमएस मेडिकल कॉलेज प्रशासन और अस्पताल प्रशासन दोनों सुस्त हैं। आइपीडी टावर में मोर्चरी बनाई जाएगी या नहीं या फिर मोर्चरी को अन्यत्र शिफ्ट किया जाएगा अभी तक यह तय नहीं हो पाया है। इस मामले में संबंधित विभाग के जिम्मेदार भी बोलने से बच रहे हैं।
एसएमएस अस्पताल की मोर्चरी में रोजाना 10 से 15 पोस्टमार्टम होते हैं। यह संख्या अन्य अस्पतालों की मोर्चरी की तुलना में चार से पांच गुना तक अधिक है। रात को भी डीप फ्रीजर में रखवाने के लिए राजधानी के अन्य सरकारी अस्पतालों से शव लाए जाते हैं। ऐसे में दिन हो या रात यहां लोगों की आवाजाही बनी रहती है। उन्हें हर पल परेशानियों से जूझना पड़ता है।

रोजाना 10 से 15 पोस्टमार्टम

यहां से शिफ्ट हो

हरियाणा से आए एक व्यक्ति ने कहा कि पहले से ही परेशान थे यहां भी अव्यवस्थाएं ही मिली हैं। हाल ये है कि अप्रेल में पारा आसमान पर है और यहां पर सिवाय धूप में खड़े होने के अलावा कोई चारा नहीं। उनके मुताबिक इस मोर्चरी को यहां से दूसरी जगह शिफ्ट कर देना चाहिए ताकि कुछ तो सहूलियत मिल सके।

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