वो तो होशियार थी बेटी करमा की मौत ने पूरे परिवार को हिला कर रख दिया। हर किसी के आंख में आंसू थे। एक सवाल भी था कि अगर उसे कोई परेशानी थी तो वह बता सकती थी। पढऩे में भी वह होशियार थी। ऐसी कोई बात भी नहीं हुई जिसके कारण इतना बड़ा कदम उठाना पड़ा। आस-पास के लोग भी करमा की तारीफ कर रहे थे, उनका कहना था बिटिया सभी से स्नेह रखती थी। बड़ों का सम्मान करती थी।
दोनों पक्षों में बातचीत जरूरी बच्चों में अभी आत्महत्या के केस आ रहे हैं। इसके पीछे बड़ा कारण है टीनेजर्स में गुस्सा भरा पड़ा है। जरा सी डांट पर भी उन्हें लगता है कि माता पिता उनकी भावनाएं समझना नहीं चाहते। इससे बचने के लिए अभिभावकों को बच्चों से बात करनी चाहिए। खासकर एक ऐसा समय चुन ले जिसमें दोनों एक-दूसरे से खूब शेयर कर सकें। बच्चों की हर बात सुनें और उन्हें प्यार से समझाएं।
डॉ. अनिता गौतम, मनोचिकित्सक