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जयपुर

पढ़ाई के लिए टोकना इतना खटका कि दे दिया मौत का झटका

suicide : झालाना की शिव कॉलोनी में किशोरी ने फंदे से लटक दे दी जान, मामूली सी बात पर तोड़ दी अपने जीवन की डोर

जयपुरApr 21, 2022 / 02:24 pm

Amit Pareek

पढ़ाई के लिए टोकना इतना खटका कि दे दिया मौत का झटका

फाइल फोटो

पढ़ ले…नहीं तो फेल हो जाएगी। बस यही तो कहा था। लेकिन हमें क्या मालूम था उसे मामूली सी बात भी चुभ जाएगी और जो सपने में भी नहीं सोचा वो कर बैठेगी। यह कहते-कहते करमा की मां सुबकने लगी। पिता भी रोते-रोते हर आने वाले से यही दोहरा रहे थे कि खुद तो मर गई लेकिन हमें भी तड़पने की सजा दे गई। तभी दोनों दहाड़े मारते हुए रूहांसे गले से बोले कहां चली गई तू। यह नजारा था झालाना इलाके स्थित घर का जहां बुधवार रात एक किशोरी ने फंदे से लटक जान दे दी। माता-पिता का पढ़ाई के लिए टोकना उसे इतना नागवार गुजरा कि उसने तैश में आकर मौत को गले लगा लिया। आत्महत्या की इस वारदात के बाद शिव कॉलोनी में सन्नाटा पसरा पड़ा है। गांधी नगर थाना पुलिस मामले की जांच कर रही है।
आत्महत्या करने वाली करमा मीणा (16) 11वीं की छात्रा थी। पुलिस ने बताया कि बुधवार दोपहर को माता-पिता ने करमा को पढ़ाई के लिए टोका था। इसके बाद वह खाना खाकर कमरे में चली गई और फिर बाहर ही नहीं निकली। रात तक जब वह बाहर नहीं आई तो परिजनों ने उसके कमरे जाकर देखा तो वे सन्न रह गए। किशोरी फंदे से लटकी हुई थी। उसे तुरंत नीचे उतार परिजन ही एसएमएस अस्पताल ले गए जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया। सूचना पर पहुंची पुलिस ने तहकीकात की। बताया जा रहा है कि उसके कमरे से अभी कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है।
वो तो होशियार थी

बेटी करमा की मौत ने पूरे परिवार को हिला कर रख दिया। हर किसी के आंख में आंसू थे। एक सवाल भी था कि अगर उसे कोई परेशानी थी तो वह बता सकती थी। पढऩे में भी वह होशियार थी। ऐसी कोई बात भी नहीं हुई जिसके कारण इतना बड़ा कदम उठाना पड़ा। आस-पास के लोग भी करमा की तारीफ कर रहे थे, उनका कहना था बिटिया सभी से स्नेह रखती थी। बड़ों का सम्मान करती थी।
दोनों पक्षों में बातचीत जरूरी

बच्चों में अभी आत्महत्या के केस आ रहे हैं। इसके पीछे बड़ा कारण है टीनेजर्स में गुस्सा भरा पड़ा है। जरा सी डांट पर भी उन्हें लगता है कि माता पिता उनकी भावनाएं समझना नहीं चाहते। इससे बचने के लिए अभिभावकों को बच्चों से बात करनी चाहिए। खासकर एक ऐसा समय चुन ले जिसमें दोनों एक-दूसरे से खूब शेयर कर सकें। बच्चों की हर बात सुनें और उन्हें प्यार से समझाएं।
डॉ. अनिता गौतम, मनोचिकित्सक

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