ऐसे में सफाई की परीक्षा में इस बार भी पिछड़ना तय है। हकीकत यह है कि शहर के बाजारों व मुख्य मार्गों से न कचरा डिपो हट रहे है और न ही घरों में गीला व सूखा कचरा अलग—अलग हो रहा है। स्वच्छ सर्वेक्षण 2024 में प्रदेश के शहरों को अव्वल लाने के लिए सरकार हमारे तीन अफसरों को इंदौर भेज रही है। ये अफसर तीन दिन इंदौर में रहकर वहां की सफाई व्यवस्था का जायजा लेंगे। इनमें हैरिटेज नगर निगम आयुक्त अभिषेक सुराणा सहित जोधपुर उत्तर नगर निगम आयुक्त अतुल शर्मा और उदयपुर नगर निगमों के आयुक्त राम प्रकाश शामिल है। ये अफसर 29 जनवरी से 31 जनवरी तक इंदौर में रहकर वहां सफाई व्यवस्था का जायजा लेंगे। वहां के निगम आयुक्तों से चर्चा की सफाई व्यवस्था की जानकारी जुटाएंगे।
टीचरों के साथ बच्चों ने रास्ता रोका
राजापार्क में भगत आसानंद सीनियर सेकेंडरी स्कूल के सामने कचरे के ढेर से परेशान स्टूडेंट्स आज सुबह सड़क पर उतर आए। स्कूल प्रबंधन और टीचरों के साथ बच्चों ने रास्ता रोक दिया।
सूचना पर पहुंचे नगर निगम के कार्मिकों ने कचरा उठवाया और कचरा डिपो को अन्यत्र शिफ्ट करने का आश्वासन दिया। इसके बाद बच्चों ने रास्ता खोला।
नहीं हो पा रहा कचरा अलग-अलग
राजधानी में ग्रेटर नगर निगम और हैरिटेज नगर निगम के 250 वार्डों में एक भी वार्ड में गीला व सूखा कचरा अलग—अलग नहीं हो पा रहा है। शहर में घर—घर कचरा संग्रहण करने के लिए रोजाना 732 हूपर दौड़ रहे है, लेकिन गीला व सूखा कचरा अलग—अलग करने की व्यवस्था नहीं है। हूपर भी नियमित घरों में कचरा लेने नहीं पहुंच रहे है। कई कॉलोनियों व गलियों में तीन से चार दिन में कचरा उठ रहा है। ऐसे में कचरा सड़क पर आ रहा है। शहर के प्रमुख बाजारों के साथ प्रमुख मार्गों पर जगह—जगह कचरे के ढेर लगे हुए है। बीच सड़क ही कचरा डिपो बने हुए है।
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इंदौर में 6 तरह से हो रहा कचरा अलग—अलग
स्वच्छ सर्वेक्षण में इंदौर लगातार 7 बार से अव्वल आ रहा है। इंदौर में 6 तरह से कचरा अलग—अलग हो रहा है। सूखा कचरा को भी अलग—अलग किया रहा है, वहीं गीला कचरा अलग लिया जा रहा है। वहीं घरेलू जैव चिकित्सा कचरा, घरेलू खतरनाक कचरा के अलावा प्लास्टिक अपशिष्ट कचरा भी अलग—अलग एकत्र किया जा रहा है।