डॉ. शर्मा ने बैठक में राज्य के वेटरिनरी कॉलेजों को उत्कृष्टता का केंद्र बनाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि आधुनिक पशु चिकित्सा शिक्षा में भौतिक और मानव संसाधनों के बीच संतुलन जरूरी है। उन्होंने क्षेत्र में काम कर रहे पशु चिकित्सा अधिकारियों और शिक्षण संस्थानों के बीच बेहतर तालमेल पर बल दिया।
डिजिटल नवाचार और व्यावसायिक दक्षता
डॉ. शर्मा ने “ई-नॉलेज बैंक” परियोजना का उल्लेख करते हुए कहा कि इससे चिकित्सकों को सर्जरी और अन्य प्रक्रियाओं के लिए आवश्यक जानकारी ऑनलाइन उपलब्ध होगी। उन्होंने विद्यार्थियों की व्यावसायिक दक्षता बढ़ाने के लिए एप-आधारित शिक्षण सामग्री और हैंड्स-ऑन ट्रेनिंग पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “बिना अनुभव के कोई भी व्यावहारिक ज्ञान हासिल नहीं कर सकता। हमें विद्यार्थियों को वास्तविक परिस्थितियों में काम करने के लिए प्रशिक्षित करना होगा।”
पारदर्शी प्रबंधन और सख्त कार्रवाई
शासन सचिव ने सभी कॉलेजों को मैनेजमेंट कोटे की सीटों पर पारदर्शी प्रक्रिया अपनाने और मनमानी फीस वसूली से बचने के निर्देश दिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि कोई कॉलेज राष्ट्रीय पशु चिकित्सा परिषद (VCI) के मापदंडों का पालन नहीं करता है, तो उसकी एनओसी रद्द कर दी जाएगी।
नवाचार और संरचनात्मक विकास
डॉ. शर्मा ने आधुनिक संरचनाओं और सुविधाओं के विकास की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कॉलेजों में बायोमीट्रिक उपस्थिति, अध्यापकों की पारदर्शी सूची, और छात्रों के लिए रिफ्रेशर कोर्स और एक्सपोजर विजिट जैसे कदमों को अनिवार्य बताया। उन्होंने कहा कि इन सभी प्रयासों से राज्य के पशु चिकित्सा संस्थान देश में अग्रणी बन सकते हैं।
पशु अस्पतालों को आम जनता के लिए अधिक सुलभ बनाया जाएगा
बैठक में यह निर्णय लिया गया कि कॉलेजों में संचालित पशु अस्पतालों को आम जनता के लिए अधिक सुलभ बनाया जाएगा। इससे विद्यार्थियों को प्रैक्टिकल अनुभव मिलेगा और ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर पशु चिकित्सा सेवाएं सुनिश्चित होंगी। डॉ. शर्मा ने अंत में कहा, “हमारा लक्ष्य केवल शिक्षा देना नहीं, बल्कि राज्य के पशु चिकित्सा क्षेत्र को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित बनाना है। जो संस्थान नियमों का पालन नहीं करेंगे, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।”