कम पार्किंग से मुसीबतें बढ़ना तय थीं
चिकित्सा शिक्षा विभाग का आकलन है कि प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल में पहले से ही छितराई हुई पार्किंग के कारण मरीजों, परिजनों और अस्पताल के स्टाफ को भारी परेशानी होती है। करीब 2500 बेड के इस अस्पताल के बांगड़ परिसर, नर्सिंग व एमबीबीएस हॉस्पिटल, कल्याण धर्मशाला और नर्सिंग कॉलेज के आस-पास बड़ी संख्या में वाहन खड़े होते हैं। ऐसे में
आइपीडी टावर के लिए भी उसकी क्षमता की तुलना में 25 प्रतिशत पार्किंग का ही प्रावधान होने से मुसीबतें बढ़ना तय थीं।
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कुछ रोज पहले
राजस्थान के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री गजेन्द्र सिंह खींवसर ने विधानसभा में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की अनुदान मांगों पर बहस का जवाब देते हुए इस प्रोजेक्ट को अच्छी शुरुआत बताते हुए इसके क्रियान्वयन में कई खामियां गिनाईं। उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने बेहतर प्रोजेक्ट की सोच के साथ 22 मंजिल के लिए काम शुरू करवा दिया। लेकिन उसका बजट 14 मंजिल तक आते-आते खत्म हो गया।
300 की पार्किंग क्षमता दिखाता है आधी-अधूरी प्लानिंग
गजेन्द्र सिंह खींवसर ने आगे बताया कि भाजपा सरकार आने के बाद जयपुर विकास प्राधिकरण की तरफ से यह बिंदू आया तो मुख्यमंत्री ने 200 करोड़ रुपए इसके लिए दिए। अब जल्द ही यह टावर 22 मंजिल की ओर तेजी से बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि 1200 बेड के टावर में करीब 300 से 500 कर्मचारी भी काम करेंगे। ऐसे में मात्र 300 की पार्किंग क्षमता रखना आधी-अधूरी प्लानिंग को ही दिखाता है।