गुस्सा हैं, इसलिए कि पहले बंद किया फिर खोला, फिर बंद..
राजस्थान पत्रिका के संस्थापक कर्पूरचंद्र कुलिश के स्मृति वन में बघेरे के मूवमेंट के चलते बंद वन को एक बार खोलने के बाद फिर से बंद किए जाने से कुछ लोग उसे फिर खोले जाने की मांग कर रहे हैं। आज सुबह अचानक से प्रात:कालीन भ्रमण के लिए आए लोगों ने जेएलएन मार्ग की ओर रुख कर दिया। स्मृति वन के द्वार खोलने की मांग को लेकर सभी सड़क पर खड़े हो गए और करीब आधे घंटे तक वहीं डटे रहे।
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लोगों ने एक स्वर से कहा कि वे सांकेतिक रूप से अंदर जा रहे हैं और बताना चाहते हैं कि अंदर बघेरा नहीं है। यदि बघेरा होता तो वन क्षेत्र में वन विभाग की टीम को इसकी मौजूदगी का पता रहता। पिंजरा लगा होने के बावजूद वह उसके आस-पास भी नहीं आया। वहीं लोगों ने कहा कि जब स्मृति वन से लगते ओटीएस परिसर में भी पेंथर का मूवमेंट देखा गया तो उसे बंद क्यों नहीं किया गया।
संघर्ष समिति ने ये दिए तर्क
– स्मृति वन के चारों तरफ बस्ती है, बघेरे का खतरा हर जगह है तो वन को क्यों बंद किया गया
– बघेरा ओटीएस में भी देखा गया था, वहां बेरोकटोक गतिविधियां जारी हैं
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– विभाग बताए कि बघेरा अंतिम बार कब देखा गया, यदि नहीं तो फिर जबरन द्वार बंद क्यों रखे गए
– यदि अंदर बघेरा है तो आस-पास की बस्तियों की सुरक्षा के लिए कोई व्यवस्था क्यों नहीं
– पहले दो दिन तक वन क्षेत्र खोला गया था तब जनता अंदर गई थी, कहीं भी समस्या नहीं हुई
– जलधारा आमजन के लिए खुली हुई है तो स्मृति वन क्यों नहीं?
वन विभाग का असमंजस
इधर, वन विभाग में भी अधिकारी कर्मचारी असमंजस में है। स्थानीय रिपोर्ट के मुताबिक वन क्षेत्र को खोला गया था। दो दिन आमजन के आने से भी कोई समस्या नहीं हुई। जबकि उच्च स्तर से अचानक आदेश आया कि वन क्षेत्र बंद किया जाए।