नहीं बन सका आरएएस
आरोपी तुलछाराम की वर्ष 2006 में नविता से शादी हुई। शादी के बाद बीकानेर में रहकर वहां भी चाणक्य कोचिंग खोल ली। शादी के समय पत्नी थर्ड ग्रेड टीचर थी और बाद में बीकानेर में एक स्कूल में प्रधानाचार्य बन गई। आरोपी तुलछाराम वर्ष 2010 में भतीजे पोरव कालेरा के साथ उप निरीक्षक भर्ती परीक्षा में बैठा। दोनों का एक ही परीक्षा केन्द्र और एक ही कमरे में रोल नंबर आया। आरोपी ने भतीजे पोरव की कॉपी लेकर उसका पेपर सॉल्व किया। वर्ष 2014 में परीक्षा का परिणाम आया तो पोरव की 409वीं रैंक बनी। लेकिन आरोपी के साथी ने आरपीएससी में इस संबंध में शिकायत की। तब जांच में आरोप सही पाए गए और अजमेर के सिविल लाइंस थाने में मामला दर्ज करवाया गया। तब तक आरोपी तुलछाराम ने आरएएस भर्ती परीक्षा पास कर ली थी लेकिन अजमेर के सिविल लाइंस थाने में गिरफ्तार होने पर उसका आरएएस में चयन नहीं हो सका। वहीं आरोपी पोरव कालेरा वर्ष 2014 में ही द्वितीय ग्रेड टीचर परीक्षा में नकल करवाने के लिए पेपर सॉल्व करते पकड़े गया। इसके चलते वह
उप निरीक्षक भर्ती परीक्षा में दस्तावेज सत्यापित नहीं करा पाया और थानेदार बनने से रह गया।
15 जून तक रिमांड पर, 30 और गिरफ्तार होने के रडार पर
एसओजी के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक रामसिंह शेखावत के नेतृत्व में जुटी टीम ने गिरफ्तार प्रशिक्षु उप निरीक्षक मनीषा सिहाग, अंकिता गोदारा व प्रभा बिश्नोई को रविवार को न्यायालय में पेश किया, जहां से तीनों को 15 जून तक एसओजी की रिमांड पर सौंप दिया। वहीं पहले से गिरफ्तार पोरव कालेरा, नरेशदान चारण, प्रवीण बिश्नोई व दिनेश चौहान 11 जून तक रिमांड चल रहे हैं। एसओजी की रडार पर 30 प्रशिक्षु उप निरीक्षक हैं, इनमें कुछ प्रशिक्षण स्थल से छुट्टी लेकर भाग गए। बताया जाता है कि पोरव की पत्नी की बहन भी भागने वाले प्रशिक्षु उप निरीक्षकों में शामिल है।
जगदीश व तुलछाराम की अलग-अलग गैंग
पेपर लीक मामले में जगदीश बिश्नोई व तुलछाराम कालेरा की अलग-अलग गैंग है। आरोपी जगदीश बिश्नोई गैंग परीक्षा से पहले पेपर लीक करवाती थी। जबकि तुलछाराम कालेरा की गैंग परीक्षा में पेपर बांटने के दौरान लीक करवाती थी। कई बार तुलछाराम गैंग आरोपी जगदीश बिश्नोई गैंग से भी पेपर ले लेती थी।