टीकाराम जूली ने सदन में ऐसे घेरा सत्ता पक्ष को
1-ये लोग सत्ता को हासिल तो कर लेंगे, लेकिन भगवान राम को नहीं पा सकते। 2-कांग्रेस ने पहली बार इस सभा में किसी दलित व्यकित को प्रतिपक्ष नेता बनाया।
3-राज्यपाल महोदय को सब पता है उनसे असत्य पढ़वाया जा रहा है। 4-मुझे तो ऐसा लगता है कि जिस तरह से पर्ची दिल्ली से आई थी , उसी तरह अभिभाषण भी दिल्ली से आया होगा। उसे राज्यपाल महोदय ने उसे ही पढ़ लिया।
5-दिल्ली से पर्यवेक्षक राज्य में आए। उन्होंने विधायकों से रायशुमारी करने की अपेक्षा एक पर्ची पकड़ा दी। जिन्हें पर्ची दी गई, उनको लगा कि कहीं इसमें मेरा नाम तो नहीं है।
6-कांग्रेस में भी पर्यवेक्षक आए थे। सर्वे में सभी ने मेरा नाम प्रतिपक्ष नेता के रूप में लिया था।
7-विदेशों में पहचान दस लाख के सूट से नहीं है, बल्कि एक लंगोटी वाले से पहचान है। 8-हवामहल से जीते विधायक गदा लेकर चल दिए। जैसे किसी रामलीला में चल दिए। अगले दिन फिर माफी मांग लेते हैं।
9-सत्ता पक्ष के कई विधायक अधिकारियों को घमका रहे हैं। जबकि जनता ने विधायक को इसलिए चुना है कि वे क्षेत्र की मांग को विधानसभा में उठा सके। 10-यह राजस्थान की विधानसभा है। कोई चौपड़ नहीं है। इन्हें ट्रेनिंग दीजिए।
11-जयश्री राम को मानने वाले हम भी है। मेरा नाम में तो राम है। 12-मुख्यमंत्रीजी आप तो रहते हैं ओटीएस है। ये रहते है सिविल लाइन्स में। ये कहां जाते हैं, मुझे सब पता है। ये आपको ही निपटाने में लगे हैं। आपके ही पक्ष के लोग ही नहीं चाहते कि आप मुख्यमंत्री बने रहे।
13– इस सरकार में कंनफ्यूजन है। पहले मुख्यमंत्री, मंत्री व विभाग के रहे हैं। मंत्री एसए का इंतजार कर रहे हैं। 14-100 दिन की कार्ययोजना बनी है, उसे कब पूरा करेंगे। 15-राजीव गांधी युवा मित्र को रोजगार मत छीनो। आप भले ही इसका नाम बदलकर अटल युवा मित्र कर दीजिए। मैं इसका प्रस्ताव करता हूं।