जयपुर. राजधानी में मौसमी बीमारियां प्रकोप दिखा रही हैं। घर-घर में वायरल फीवर, सर्दी, जुकाम, खांसी, निमोनिया के अलावा डेंगू व स्क्रब टाइफस के मरीज मिल रहे हैं। मलेरिया, डेंगू और चिकनगुनिया के प्रकोप से बचाने के लिए राजधानी के दोनों नगर निगम व्यापक स्तर पर फॉगिंग करवा रहे हैं। दोनों ही नगर निगम प्रतिदिन छह-छह वार्डों में फॉगिंग करवा रहे हैं। एक बार सभी वार्डों में फॉगिंग होने के बाद फिर से फॉगिंग करवाई जाएगी। यानी एक बार फॉगिंग होने के बाद दूसरी बार 20 से 26 दिन में बारी आएगी। वहीं, वीवीआईपी की आवाजाही और शिकायतों के निस्तारण के लिए अलग से टीमें गठित की गई हैं। औसतन 20 शिकायत रोज आ रही हैं।
सवाई मानसिंह अस्पताल, जेके लोन, कांवटिया समेत अन्य सरकारी व निजी अस्पतालों की ओपीडी व आईपीडी में मरीजों की संख्या बढ़ गई है। एसएमएस व जेके लोन अस्पताल में मेडिसिन वार्ड में बेड फुल हो गए हैं। चिकित्सकों को अन्य विभागों के वार्डों में वैकल्पिक इंतजाम कर मरीज भर्ती करने पड़ रहे हैं।
ओपीडी में आ रहे मरीजों में 30 से 35 फीसदी मौसमी बीमारियों की चपेट में हैं। रोजाना 80 से 100 मरीज भर्ती भी हो रहे हैं। मरीजों को ठीक होने में आठ से दस दिन का समय लग रहा है। एसएमएस अस्पताल के अतिरिक्त अधीक्षक डॉ. प्रदीप शर्मा ने बताया कि अस्पताल की ओपीडी 10 हजार से 13 हजार तक पहुंच गई है। पांच-छह दिन का आंकड़ा देखें तो डेंगू, स्क्रब टायफस के अलावा चिकनगुनिया के केस भी बढ़े हैं।
स्क्रब टायफस बच्चों के दिमाग तक पहुंच रहा जेके लोन अस्पताल में भी ओपीडी 1400 को पार कर गई है। यहां भी वायरल फीवर के अलावा निमोनिया, डेंगू के मरीज पहुंच रहे हैं। स्क्रब टाइफस के कारण गंभीर हालत में बच्चों को लाया जा रहा है। अस्पताल के वरिष्ठ शिशुरोग विशेषज्ञ डॉ. अशोक गुप्ता ने बताया कि स्क्रब टायफस बच्चों के दिमाग पर असर कर रहा है। इससे उनमें बेहोशी, दौरे आना जैसे लक्षण देखे जा रहे हैं।
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