यूनिफॉर्म पहने अपनी पुरानी तस्वीर के साथ पायलट ने लिखा, ‘सशस्त्र बलों से प्रेरित होकर, मैं प्रादेशिक सेना में शामिल हुआ। इतना ही नहीं मैंने न सिर्फ अपना सपना पूरा किया, बल्कि मुझे भारत की सेवा करने का एक और मौक़ा भी मिला। आज जब हम प्रादेशिक सेना के गठन का जश्न मना रहे हैं, हम पुरुषों और महिलाओं को वर्दी में इसे मनाते हैं जो हमारी सीमाओं, घरों और जीवन के रास्ते की रक्षा करते हैं, जय हिंद।
दरअसल, सचिन पायलट के पिता राजेश पायलट और दादा जय दयाल भी सेना से ही जुड़े थे। दादा इंफेंट्री में सैनिक थे। पिता वायुसेना में लड़ाकू पायलट थे। साल 2012 में हुए एक कार्यक्रम में तब के सेना प्रमुख रहे जनरल बिक्रम सिंह ने साउथ ब्लॉक स्थित अपने कार्यालय में सचिन पायलट के कंधे पर रैंक का फीता लगाकर उन्हें टेरिटोरियल आर्मी में शामिल किया था।उस दौरान पायलट की मां रमा पायलट भी उपस्थित थीं।
भारतीय संविधान सभा द्वारा सितंबर, 1948 में पारित प्रादेशिक सेना अधिनियम 1948, के अनुसार भारत में अक्टूबर, 1949 में प्रादेशिक सेना स्थापित हुई। इसका उद्देश्य संकटकाल में आंतरिक सुरक्षा का दायित्व लेना और आवश्यकता पड़ने पर नियमित सेना को यूनिट (दल) प्रदान करना है। साथ ही नवयुवकों को देशसेवा का अवसर प्रदान करना है। इसमें होने के लिए आयु सीमा 18 और 35 वर्ष है। सेवानिवृत्त सैनिकों और प्राविधिज्ञ सिविलियनों के लिए शिथिलता दी जा सकती है।