ईसाइयत ने अपने प्रसार के लिए अत्याचार किया
उन्होंने कहा कि हिन्दू ने कभी जबर्दस्ती करके अपने धर्म मे किसी को शामिल नहीं किया। हमने कभी नहीं कहा कि हम श्रेष्ठ हैं। हम अखण्ड भारत के पुजारी हैं। लेकिन धर्म संस्कृति को बचाने के लिए आपकी सहायता जरूरी है। आज भी गांवों में छुआछूत है, मंदिर में दर्शन नहीं करने देते। इसे खत्म करना होगा। उन्होंने कहा कि विश्व में सबसे पहले ईसाइयत ने अपने प्रसार के लिए अत्याचार किया, भारत भी इससे भी अछूता नहीं रहा। अंग्रेजों ने बड़े बड़े पदों पर इसाईयों को बैठाया, ये मिशनरी तब से काम कर रही है।
एससी की कई जातियों का हो रहा है ईसाइकरण
निम्बाराम ने कहा कि एससी की अनेक जातियों में द्रुत गति से ईसाईकरण हो रहा है। जयपुर जैसे नगर के अंदर और बाहर सिंधी समाज मे भी ईसाईकरण शुरू हो गया। हमने उनके सन्तो को बताया तो माने नहीं, लेकिन जब उन्हें मिलाया गया तो उन्हें विश्वास हुआ। हमने प्रयास किया तो यह काम रुका।
संत गए तो निकल पड़ी अश्रुधारा
निम्बाराम ने कहा कि एससी और एसटी की बस्तियों में संतों को लेकर गए तो लोगों को विश्वास नहीं हुआ कि सन्त हमारे बस्ती में आए हैं। उन्होंने आवभगत की और संतों ने उनके हाथ से प्रसाद ग्रहण किया तो अश्रुधारा बह निकली। उन्हें लगा की हमारे तो पुरखे तर गए। उन्होंने कहा कि समाज को साथ लिए बिना परिवर्तन संभव नहीं है। लव जिहाद की घटनाएं हो रही है। सुटकेस में डेड बॉडी मिलती है। हिन्दू जहां-जहां घटा है देश बंटा है।