Rising Rajasthan: राइजिंग राजस्थान में 40 से अधिक देशों के निवेशकों को बुलाने की तैयारी है। थाईलैंड, सिंगापुर, अमरीका, यूरोप व अफ्रीका सहित कई देशों से प्रदेश के हीरे-जवाहरात, टेक्सटाइल और हैण्डीक्राफ्ट से जुड़े उद्यमियों का कारोबारी रिश्ता है, वहीं इन सहित अन्य देशों के पर्यटक भी राजस्थान आते हैं। इन सभी को दिल्ली-मुम्बई के रास्ते आने-जाने की मजबूरी है। प्रदेश की राजधानी जयपुर से केवल पांच देशों से ही सीधे एयर कनेक्टिविटी है, अन्य बड़े शहर तो इस मामले में और भी पीछे हैं।
पिछले वर्ष जी-20 देशों के प्रतिनिधियों की बैठक राजस्थान के कई शहरों में हुई। इसके अलावा पर्यटन के नए स्वरूप एमआईसीई (मीटिंग, इंसेटिव, कांफ्रेंसेज व एक्जीबिशंस) के लिए जयपुर, अजमेर, जोधपुर व उदयपुर शहरों को पसंद किया जा रहा है। वहीं हेरिटेज, प्राकृतिक सौंदर्य के अद्भुत नजारों व धार्मिक स्थलों के कारण प्रदेश के अनेक शहर पर्यटन की टॉप लिस्ट में शामिल हैं। वेडिंग ट्यूरिज्म के मामले में भी राजस्थान काफी पसंद किया जा रहा है।
इसके अलावा स्ट्डी ट्यूरिज्म से भी प्रदेश का गहरा नाता है, यहां से न केवल मेडिकल की पढ़ाई के लिए यूरोपीय देशों सहित कई देशों से युवा जाते हैं बल्कि कई देशों के युवा यहां एनआईए, एम्स, आईआईटी सहित कई विवि में अध्ययन के लिए आते हैं। इस सबके बावजूद दुनियाभर में नंबर वन रह चुका जयपुर अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट विदेशी यात्रियों की उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पाया है।
विदेशों में धाक, पर घर आने-जाने में परेशानी
राजस्थान से दुबई, मस्कट, शारजाह के लिए अंतरराष्ट्रीय विमान सेवा है। हाल ही इसमें अबूधाबी व बैंकॉक भी जुड़ गए, लेकिन सिंगापुर, थाइलैंड, मलेशिया, इंडोनेशिया, अमरीका, लंदन, चीन, पेरिस, हॉंगकॉग, रूस व यूक्रेन समेत कई प्रमुख देशों से हवाई सेवा का रिश्ता नहीं बन पाया है।
इन कारोबारियों का रहता है आना-जाना
प्रदेश के हीरा-जवाहरात, हैंडीक्राफ्ट, रत्न आभूषण, सेंड स्टोन, मार्बल, ग्रेनाइट, गारमेंट्स जैसे व्यवसाय से जुड़े सैकड़ों व्यापारी, मेडिकल सहित अन्य विद्यार्थी, नौकरी करने वाले युवाओं की विदेश आवाजाही रहती है। सीधे कनेक्टिविटी नहीं होने से इन सभी को एक दिन या कई घंटों पहले दिल्ली-मुंबई एयरपोर्ट के लिए रवाना होना पड़ता है, जिससे धन व समय की बर्बादी होती है।