ऐसे हालात में जब परिजन मरीज को घर ले जाने को तैयार नहीं होते तो उन्हें अपनी जेब से पैसे खर्च करने पड़ रहे हैं। कुछ मामलों में अस्पतालों को ऐसे मरीज को एक बार डिस्चार्ज कर उन्हें दुबारा आईसीयू में भर्ती करने पर मजबूर होना पड़ रहा है।
ऑक्सीजन सपोर्ट की जरूरत, फिर भी डिस्चार्ज की तैयारी
राजधानी के एक निजी अस्पताल में भर्ती महारानी फार्म निवासी महिला मरीज को अस्पताल से छुट्टी देने की तैयारी कर ली गई। मरीज के ऑक्सीजन सपोर्ट पर होने के बावजूद छुट्टी पर परिजनों ने असहमति जताई तो उन्हें बताया गया कि सामान्य वार्ड में भर्ती मरीज को आरजीएचएस के तहत अधिकतम पांच दिन ही रखा जा सकता है। इसके बाद भर्ती रखने के लिए उन्हें वापस आईसीयू में भर्ती करना पड़ेगा या नकद देकर इलाज कराना होगा। इसी तरह की परेशानी मानसरोवर के निजी अस्पताल में भर्ती महिला मरीज को भी हुई। पांच दिन पूरे होते ही स्वस्थ हुए बिना उन्हें अस्पताल छोड़ना पड़ा। कुछ दिन बाद उन्हें दूसरे अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा।
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कई बार आसानी से नहीं मिलती अनुमति
आईसीयू में भर्ती मरीज के लिए हर तीन दिन में उसे आगे बढ़ाने की अनुमति लेने का नियम है। कई बार तकनीकी परेशानी के कारण इस अनुमति में परेशानी आती है और परिजनों और अस्पताल में विवाद की नौबत भी आती है। आरजीएचएस में चयनित होने के कारण मरीज नकद इलाज नहीं कराते और अस्पताल बिना अप्रवूल भर्ती नहीं रखता।