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गुजरात ने दिए संकेत! अगर इन पर नहीं लगी लगाम तो ‘राजस्थान‘ से चला जाएगा ‘भाजपा‘ राज

राजस्थान में आन्दोलनों को नहीं संभाल पा रही सरकार…

जयपुरDec 20, 2017 / 12:43 pm

dinesh

जयपुर गुजरात विधानसभा चुनाव के परिणाम ने राजस्थान की भाजपा सरकार के लिए अलार्म बजा दिया है। यहां रह-रहकर विभिन्न वर्गों में आन्दोलन खड़े हो रहे हैं लेकिन सरकार उन्हें संभाल नहीं पाई है। कार्यवाही की बजाय केवल आश्वासनों के कारण डॉक्टरों और किसानों के साथ कर्मचारियों में भी भारी आक्रोश है। इसके बावजूद सरकार के पास इनसे निपटने की कोई खास योजना नहीं है।
 

गुजरात में पाटीदार, दलित और पिछड़ों सहित व्यापारियों के आंदोलन ने वहां की 22 साल पुरानी सरकार को सबक दिया है। माहौल देख खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मोर्चा संभालना पड़ा। पीएम सहित कुछ अन्य फैक्टर के चलते गुजरात में तो भाजपा ने अपनी साख बचा ली लेकिन राजस्थान में स्थितियां लगातार बिगड़ रही हैं। बड़ी संख्या में आंदोलन चल रहे हैं, जो लगातार उग्र ही हुए हैं। कई वर्ग एकसाथ आवाज उठा रहे हैं लेकिन सरकार जिस तरीके से निपट रही है, वह आने वाले चुनाव में भाजपा के लिए नुकसानदेह हो सकता है।

कांग्रेस की बढ़त से भाजपा की चिन्ता बढ़ी
गुजरात में कांग्रेस को मिली बढ़त ने प्रदेश भाजपा में चिन्ता बढ़ा दी है। माना जा रहा है कि वहां किसान और मजदूर वर्ग कांग्रेस की ओर बढ़ा है। ओबीसी वर्ग भी भाजपा के साथ पूरी तरह नहीं जुड़ा।
 

ऐसे में भाजपा को दो अंकों में सिमटना पड़ा। ऐसे में भाजपा के प्रदेश संगठन महामंत्री चंद्रशेखर ने अलवर, अजमेर लोकसभा और मांडलगढ़ विधानसभा के चुनाव के मद्देजनर प्रभारी मंत्रियों, संगठन प्रभारियों और पदाधिकारों को इन क्षेत्रों के असंतुष्ट कार्यकर्ताओं को साधने के निर्देश दिए हैं। साथ ही चुनावी तैयारियों की जानकारी मांगी है। अलवर और अजमेर लोकसभा चुनाव में ओबीसी, किसान व श्रमिक वर्ग की बड़ी भूमिका रहने वाली है।
 

आरक्षण और वेतनमान बड़े मुद्दे
राजस्थान में गुर्जर आरक्षण का मुद्दा फिर जोर पकड़ रहा है। गुजरात में भाजपा ने पाटीदार आरक्षण की मांग पर 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण असंवैधानिक बताया जबकि राजस्थान में भाजपा नेता गुर्जरों को लम्बे समय से आश्वासन देते रहे हैं। सरकार के कई मंत्री दावा कर चुके हैं कि सरकार गुर्जरों को 5 फीसदी आरक्षण देने के लिए कटिबद्ध है। उपचुनाव से पहले सरकार किसी तरह गुर्जरों को मनाने के लिए एक प्रतिशत आरक्षण देने पर विचार कर रही है जबकि बाकी 4 जातियों और राजपूत-ब्राह्मण समाज की आरक्षण की मांग का सरकार के पास कोई जवाब नहीं है। उधर राज्य सेवा के कर्मचारी गत दिनों सातवें वेतनमान को 1 जनवरी 2016 से लागू करने की मांग को लेकर बड़ा आंदोलन कर चुके हैं। किसानों ने कई बार कर्जमाफी को लेकर आंदोलन किया, जिस पर भी सरकार अब तक कोई निर्णय नहीं कर पाई है। संविदाकर्मी, मंत्रालायिक कर्मचारी भी सरकार को आंख दिखा चुके हैं।
 

अपनों के निशाने पर
राजस्थान सरकार लगातार अपनों के भी निशाने पर है। पार्टी के विधायक घनश्याम तिवाड़ी ने मंगलवार को कहा, वंचित वर्ग का आरक्षण बिल 4 साल से दबाकर बैठी है जबकि यह विधानसभा में पास कर दिया गया। चुनाव में जो भी प्रत्याशी आर्थिक न्याय और सामाजिक समरसता के फार्मूले से सहमत होगा उसके समर्थन में प्रचार करूंगा, चाहे वह किसी भी पार्टी का हो।
 

डॉक्टरों-मंत्री में टकराव
प्रदेश में अपनी मांगों को लेकर इन दिनों डॉक्टर पुन: आंदोलन पर हैं। डॉक्टरों ने सरकार और चिकित्सा मंत्री कालीचरण सराफ के रवैये की शिकायत प्रधानमंत्री से भी की है। सरकार और डॉक्टरों में चल रहे टकराव का खामियाजा जनता को भुगतना पड़ रहा है।
 

उम्मीद से कम सीटें
-गुजरात चुनाव में भाजपा को उम्मीद से कम सीटें मिली हैं। हालांकि पार्टी ने वहां जनहित में खूब काम किए हैं।
बंशाीधर बाजिया, चिकित्सा राज्यमंत्री (भाजपा मुख्यालय पर सुनवाई के दौरान कहा)

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