परियोजना के फील्ड डायरेक्टर मनोज पाराशर ने कई माह से 215 स्थानों पर कैमरा ट्रैप लगाकर सियागोश को ढूंढा है। डिप्टी फील्ड डायरेक्टर मुकेश सैनी और फील्ड बैइलोजिस्ट शांतनु कुमार व मोहम्मद मिराज का इसमें काफी सहयोग रहा है। परियोजना में 7 प्रजाति के वन बिलाव (वाइल्ड कैट) पाए जाते हैं, जिनमें बाघ के समकक्ष ही सियागोश को स्थान प्रदान है।
शिकार रोका जाए
हर्षवर्धन, पक्षी विशेषज्ञ ने कहा कि सम्पूर्ण बाघ परियोजना 1973 में आरम्भ हुई थी। इस राष्ट्रीय कार्यक्रम को अनेक चुनौतियों के बावजूद सफलता मिली है। लेकिन वन विभाग के सामने अवैध शिकार, अवैध लकड़ी काट ले जाने और इससे कहीं अधिक गांवों के विस्थापन के मुद्दे सामने खड़े हैं। प्रशासनिक और राजनीतिक स्तर पर इनका हल नहीं निकाला जा रहा है।