आए दिन आबादी क्षेत्र के पास वन्यजीवों की मौजूदगी से
जहां एक तरफ लोगों में भय बना हुआ है, वहीं दूसरी ओर वन्यजीवों के लिए खतरा
साबित हो रहा है।
तलवास वन क्षेत्र में कुछ दिनों से सड़क किनारे बघेरे की मौजूदगी व वहां से गुजरते लोगों से कुछ इसी तरह की स्थिति पैदा हो गई है।
रामगढ़
अभयारण्य में भी बघेरों की संख्या बढ़ने व कर्मचारियों की कमी से यहां पर
भी खतरा बढ़ रहा है। गत माह नंदगांव में बघेरे के शिकार की सूचना की भले ही
पुष्ट न हो सकी हो, लेकिन वन्यजीवों पर ख्रतरा बरकरार है।
लोगों
ने जंगल व अभयारण्य में आशियाने बना लिए। अब वन्यजीव भोजन व पानी की तलाश
में आबादी में रहे है। कई बार मवेशी भी वन्यजीवों के शिकार हो चुके हैं।
ग्रामीणों
से वन्यजीवों और वन्यजीवों को ग्रामीणों से खतरा बना हुआ है। तलवास वन
क्षेत्र मे कुछ वर्षो में बघेरों की संख्या बढ़ी है।
स्थिति यह है कि बघेरे
अब आबादी क्षेत्र में दिखाई देने लगे हैं। यहां बघेरों की संख्या आधा
दर्जन से अधिक बताई जा रही है।
रामगढ़ अभयारण्य क्षेत्र में करीब एक
दर्जन गांव रामगढ़ अभयारण्य में करीब एक दर्जन गांव बसे हैं। इसमें
भैरूपुरा आंतरी, केशोपुरा, गुढ़ामकदू, जावरां की झोपडियां, गुलखेड़ी,
मोतीपुरा, लुहारपुरा सहित अन्य गांव बसे हैं। इसके साथ ही आधा दर्जन से
अधिक गांव अभयारण्य की सीमा से सटे हैं।
जहां पर भी वन्यजीवों के
आने जाने का क्रम बना रहता है। इसके साथ ही बूंदी वन मंडल मे कालदां के
जंगल में भी बघेरों के दिखाई देने की स्थिति बनी रहती है।
इसके पास बसे गांव गुढ़ा के पास तक बघेरे देखे गए है। तलवास वन क्षेत्र में भी कई गांवों में बघेरों के आने का क्रम बना रहता है।
खतरे
जैसी स्थिति नहीं बघेरे की संख्या में इजाफा हुआ है। इसकी सुरक्षा के लिए
पूरे प्रयास किए जा रहे है। जंगल में लोगों की दखलंदाजी कम कर दी गई है।
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