सवाल-
इस कुरान को तैयार करने में किसका-किसका सहयोग रहा?
उत्तर-
मेरे छोटे भाई ने कुरान को अपने हाथ से लिखा है। इसकी खासियत है कि 18 शीट जोड़कर एक पन्ना बना है। इसमें 32 पन्ने हैं। हर पेज का डिजाइन अलग-अलग है। इसे बनाने में हैंडमेड पेज का इस्तेमाल किया गया है। हर पेज में 41 लाइनें दी गई हैं। हर लाइन की शुरुआत अलीफ से हो रही हैहै। इसे रोटरिंग इंक जो जर्मनी से मंगाई जाती है, उससे लिखा गया है।
सवाल-
जर्मनी का स्याही का ही उपयोग क्यों किया गया?
उत्तर-
इस कुरान को तैयार करने में जब हमने अपने विशेषज्ञों से मशविरा किया तो सबसे अच्छी स्याही रोटरिंग इंक को चुना गया। लोगों की राय थी कि वहां की स्याही ज्यादा अच्छी होती है। अन्य के मुकाबले इस स्याही की उम्र ज्यादा होती है। इसी वजह से हमने रोटरिंग इंक का ही इस्तेमाल किया।
सवाल-
दुनिया की सबसे बड़ी कुरान बनानी है, यह ख्याल कैसे आया?
उत्तर-
सुना था कि अफगानिस्तान में दुनिया की सबसे बड़ी कुरान है, जो 7 फीट का है। ऐसे में मुझे और चित्तौड़गढ़ के हाजी मोहम्मद शेरखां साहब ने सोचा कि अपने वतन की मोहब्बत में कुछ ऐसा काम किया जाए, जिसकी मिसाल दुनिया में दूसरी न हो। हमने सोचा कि जब अफगानिस्तान में 7 फीट का कुरान हो सकता है, तो हमारा हिन्दुस्तान क्यों पीछे रहे। इसके बाद इस काम को अंजाम दिया गया। जल्द ही इसे गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में शामिल करने पर सोच-विचार किया जा रहा है।
सवाल-
हर काम की शुरूआत में थोड़ी मुश्किलें भी आती हैं, यह काम भी आसान ना था, इसके तैयार होने के सफर के बारे में बताइए?
उत्तर-
मालिक ने दिल में डाला कि अपने वतन के लिए ये नेक काम करना है, अफगानिस्तान में हुआ तो अब हिन्हुस्तान में हम भी करें। जब इस नेक काम में आपके साथ पूरा परिवार हो तो मुश्किलें नहीं आती। मेरे साथ पूरा परिवार और चित्तौड़गढ़ के हाजी मोहम्मद शेरखां साहब का साथ रहा। मेरे छोटे भाई ने इसे हाथ से लिखा है, मेरे बच्चों-बच्चियों ने भी सहयोग किया। हमारे परिवार के सभी सदस्यों ने इस नेक काम को अंजाम दिया।