उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को अपनी सरकार में भ्रष्टाचार दिखाई नहीं देता और वह अब वह संविधान के तीसरे स्तम्भ न्यायपालिका पर ही आरोप लगा रहे हैं। वे भूल गए हैं कि यह वो ही न्यायपालिका है जिसने आपातकाल के दरमियां तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को कुर्सी से उतार दिया था। उन्होंने कहा कि मंडावा विधानसभा में 4 वर्ष पहले हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने झूठे वादों की फैक्ट्री, आश्वासनों का कारखाना चलाया था जिसका ही नतीजा है कि आज सत्ता में आने के बाद कांग्रेस के स्थानीय विधायक और उनके गनमैन ने सरकार की परस्ती में जमीनों का अवैध कब्जा कर रखा है।
मंडावा में गनमैन आईजी की भूमिका में
राठौड़ ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा विधायक को गनमैन सुरक्षा के लिए मिलते हैं, लेकिन मंडावा में तो गनमैन आईजी की भूमिका में है। सरपंच जब भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाते हैं तो शाम को पुलिस उनके घर पहुंच जाती है। कांग्रेस सरकार लाल डायरी और नाथी के बाड़े के नाम से बहुत घबराती है। मंडावा की जनता को लाल डायरी में पुलिस की वर्दी में कांग्रेस के लिए काम करनेवाले अधिकारियों के नाम लिखने चाहिए ताकि जिन्होंने भ्रष्टाचार की भट्टी मंडावा में जला रखी है, ऐसे लोगों से भाजपा के शासन आने के बाद भ्रष्टाचार का सारा पैसा निकाला जा सके।
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साधु-संतों पर अत्याचार की पराकाष्ठा
राठौड़ ने कहा कि कांग्रेस के जंगलराज में प्रदेश में साधु संतों के ऊपर अत्याचार की पराकाष्ठा हो गई है। टोंक के डिग्गी में भूरिया महादेव मंदिर के महंत सियाराम दास बाबा की नृशंस हत्या, कुचामन में संत मोहनदास की हत्या और भरतपुर जिले के पसोपा गांव में संत विजय दास द्वारा आत्मदाह करना, यह सारी घटनाएं इस बात की प्रमाण है कि प्रदेश में साधु संत सुरक्षित नहीं है। जब अन्याय और अत्यातार बढ़ता है जो साधु-संत मठ से निकलकर आगे आता है जिसका प्रत्यक्ष प्रमाण सबके सामने हैं।