प्रार्थीपक्ष की ओर से अधिवक्ता तनवीर अहमद ने हाईकोर्ट को बताया कि पशु चिकित्सा (वेटनरी) अधिकारियों के 900 पदों के लिए आरपीएससी ने वर्ष 2019 में भर्ती निकाली, जिसमें पशुचिकित्सा विज्ञान पाठ्यक्रम के अंतिम वर्ष में शामिल अभ्यर्थियों को भी पात्र माना। नियमानुसार यह छूट अंतिम वर्ष की परीक्षा में शामिल होने वाले अभ्यर्थियों के लिए ही है। आरपीएससी की गलती के कारण अंतिम वर्ष की पढ़ाई करने वालों का भी साक्षात्कार के लिए चयन हो गया और पात्र अभ्यर्थी चयन से वंचित रह गए। प्रार्थीपक्ष ने कहा कि अन्य कई भर्तियों में आरपीएससी ने स्पष्ट रूप से लिखा है निर्धारित पाठ्यक्रम के अंतिम वर्ष की परीक्षा में शामिल होने वाले ही चयन के पात्र हैं।
यह भी पढ़ें – मुख्य सचिव का परिवहन मुख्यालय का दूसरी बार औचक निरीक्षण, लेटलतीफ कार्मिकों पर होगी कार्रवाई
अब तक चली आ रही परंपरा के अंतर्गत नोटिस तो प्रभावित पक्षकारों के नाम जारी होता है, लेकिन अक्सर आरपीएससी से इन पक्षकारों तक नोटिस पहुंचते ही नहीं थे और अदालती आदेश के अनुसार आरपीएससी के कार्रवाई करने पर ये कोर्ट पहुंचते थे। कोर्ट इनको सेवा से हटाने के मामले में सहानुभूति के आधार पर ऐसे पक्षकारों को राहत देता रहा है।
यह भी पढ़ें – 1 अप्रेल से बदल जाएगा नियम, अब वाहन संग डीएल और आरसी रखना जरूरी नहीं