जयपुर। राजस्थान में राज्य पक्षी गोडावण ( Rajasthan State Birdgodawan , The Great Indian Bustard ) के लुप्त होने का खतरा मंडरा रहा है। इस ‘खतरे की घंटी’ के बीच राज्य सरकार ( Rajasthan Ashok Gehlot Government ) ने एक नई कवायद से गोडावण को बचाने का दावा किया है। दरअसल, गोडावण पक्षी की विलुप्त होती जा रही प्रजाति के संरक्षण के लिए जैसलमेर में अण्डा एकत्रीकरण एवं कृत्रिम हैचिंग केन्द्र शुरू किया गया है। भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यू.आई.आई.) देहरादून के सहयोग से विश्व में यह पहला हैचिंग सेन्टर स्थापित किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी गोडावण संरक्षण के लिए इस हैचिंग सेंटर के शुरू होने पर ख़ुशी जाहिर की है। गोडावण पक्षी की विलुप्त होती जा रही प्रजाति के संरक्षण के लिए भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यू.आई.आई.) देहरादून के सहयोग से विश्व में यह पहला हैचिंग सेन्टर स्थापित किया जा रहा है।
सीएम बोले, ‘गोडावण को बचाने में हम कामयाब होंगे’ मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि भविष्य में इस सेन्टर की मदद से हम गोडावण को बचाने में निश्चित रूप से कामयाब होंगे और आने वाली पीढ़ियां इस खूबसूरत पक्षी को प्रत्यक्ष रूप से देख और जान सकेंगी।
मुख्यमंत्री ने हैचिंग सेन्टर के संचालन के लिए चल रही कार्यवाही के लिए प्रदेश के वन राज्य मंत्री सुखराम विश्नोई और वन विभाग के अधिकारियों को बधाई दी है। वर्तमान में पूरे विश्व में गोडावण की संख्या केवल 150 ही रह गई है, जिनमें से सर्वाधिक लगभग 120 पक्षी राजस्थान में हैं। उन्होंने राज्य पक्षी के संरक्षण के लिए किए जा रहे प्रयासों की सफलता के लिए शुभकामनाएं भी दी हैं।
गौरतलब है कि गोडावण संरक्षण के लिए भारत सरकार, राजस्थान सरकार एवं भारतीय वन्यजीव संस्थान, देहरादून के मध्य एक त्रिपक्षीय समझौता हस्ताक्षरित किया गया था, जिसके अनुसार 35 वर्षों तक वृहद गोडावण संरक्षण परियोजना पर काम किया जाएगा।
गोडावण पक्षी के अण्डों के लिए कृत्रिम हैचिंग सेन्टर सम क्षेत्र में स्थापित करते हुए कुछ अण्डों को हैचिंग सेन्टर पर इनक्यूबेशन के लिए पहुंचाया गया है। वन एवं पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा 6 अण्डों को इस सेन्टर में कृत्रिम हैचिंग की स्वीकृति प्रदान की गई।
8 जून को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा राष्ट्रीय मरू उद्यान जैसलमेर के सुदासरी क्षेत्र में भ्रमण के दौरान 13 गोडावणों को विचरण करते देख इनके संरक्षण के निर्देश दिए गए थे। गोडावण के 10 ख़ास बातें – ये एक बड़े आकार का पक्षी है जो राजस्थान तथा सीमावर्ती पाकिस्तान में पाया जाता है।
– यह सबसे अधिक वजनी पक्षियों में से एक है। बड़े आकार के कारण यह शुतुरमुर्ग जैसा प्रतीत होता है। यह राजस्थान का राज्य पक्षी है। – गोडावण को सोहन चिड़िया, हुकना, गुरायिन आदि अन्य नामों से भी पहचाना जाता है।
– यह पक्षी भारत और पाकिस्तान के शुष्क एवं अर्ध-शुष्क घास के मैदानों में पाया जाता है। पहले यह पक्षी राजस्थान के अलावा पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, ओडिशा एवं तमिलनाडु राज्यों के घास के मैदानों में व्यापक रूप से पाया जाता था। लेकिन अब यह पक्षी कम जनसंख्या के साथ राजस्थान के अलावा सिर्फ गुजरात, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और संभवतः मध्य प्रदेश राज्यों में ही देखा जाता है।
– IUCN की संकटग्रस्त प्रजातियों पर प्रकाशित होने वाली लाल डाटा पुस्तिका में इसे ‘गंभीर रूप से संकटग्रस्त’ श्रेणी में तथा भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 की अनुसूची 1 में रखा गया है। – यह जैसलमेर के मरू उद्यान, सोरसन (बारां) व अजमेर के शोकलिया क्षेत्र में पाया जाता है। यह पक्षी अत्यंत ही शर्मिला है और सघन घास में रहना इसका स्वभाव है।
– गोडावण का अस्तित्व वर्तमान में खतरे में है तथा इनकी बहुत कम संख्या ही बची हुई है अर्थात यह प्रजाति विलुप्ति की कगार पर है। – यह सर्वाहारी पक्षी है। इसकी खाद्य आदतों में गेहूं, ज्वार, बाजरा आदि अनाजों का भक्षण करना शामिल है। लेकिन इसका प्रमुख खाद्य टिड्डे आदि कीट है। यह साँप, छिपकली, बिच्छू भी खाता है। यह पक्षी बेर के फल भी पसंद करता है।
– राजस्थान में अवस्थित राष्ट्रीय मरु उद्यान में गोडावण की घटती संख्या को बढ़ाने के लिये आगामी प्रजनन काल में सुरक्षा के समुचित प्रबंध किए गए हैं। – 3162 वर्ग किमी. में फैले राष्ट्रीय मरू उद्यान में बाड़मेर के 53 और जैसलमेर के 35 गाँव शामिल हैं। क्षेत्रफल की दृष्टि से यह राजस्थान का सबसे बड़ा अभयारण्य है। इसकी स्थापना वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के अर्न्तगत वर्ष 1980-81 में की गई थी। राजस्थान में सर्वाधिक संख्या में गोडावण पक्षी इसी उद्यान में पाए जाते हैं। इसलिये इस अभयारण्य क्षेत्र को गोडावण की शरणस्थली भी कहा जाता है।
Hindi News / Jaipur / GOOD NEWS: राजस्थान का राज्य पक्षी गोडावण अब नहीं होगा विलुप्त, रंग लाएगी ये कवायद!