राजस्थान अक्षय ऊर्जा निगम के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक डॉ सुबोध अग्रवाल ने बताया कि Biomass Based Power Plants में बायोमास ऊर्जा संयंत्र, बायोमास गैसीफायर आधारित ऊर्जा संयंत्र, बायो गैस आधारित ऊर्जा संयंत्र एवं बायो सीएनजी, सीबीजी आदि ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना के लिए अब कृषि भूमि के भू उपयोग परिवर्तन की आवश्यकता नहीं होगी। राजस्थान भू राजस्व अधिनियम 2007 में कृषि भूमि पर सौर एवं पवन ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना पर ही इस प्रकार की छूट उपलब्ध थी, जिसका दायरा बढ़ाकर अब इसमें बायोमास आधारित ऊर्जा संयंत्रों को भी शामिल कर लिया गया है।
डॉ. अग्रवाल के अनुसार इस संशोधन के जारी होने से प्रदेश में वर्तमान में पंजीकृत लगभग 162 मेगावाट क्षमता के बायोमास आधारित ऊर्जा संयंत्रों के लिए कृषि भूमि के भू उपयोग परिवर्तन करवाने की आवश्यकता नहीं होगी। बायोमास आधारित ऊर्जा उत्पादकों को भू उपयोग परिवर्तन शुल्क में राहत मिलने के साथ-साथ उनके समय की भी बचत होगी तथा साथ ही भविष्य में आने वाले बायोमास आधारित ऊर्जा उत्पादकों को भी इसका फायदा मिल सकेगा।