गड़बड़ी और ठेकेदारों की मिलीभगत
पत्रिका की पड़ताल में सामने आया है कि क्रय विक्रय सहकारी समितियों ने गेहूं परिवहन का कार्य मिलते ही उसमें गड़बड़ियां करना शुरू कर दिया है। चहेते ठेकेदारों को बिना टेंडर के ही काम सौंपा गया है। परिवहन ठेकेदारों ने गेहूं राशन डीलरों तक पहुंचने से पहले ही उसे गायब करना शुरू कर दिया। विभाग के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि ठेकेदार बिना बिल्टी बनाए ही गेहूं का परिवहन कर रहे हैं, जिससे यदि गेहूं गायब होने की जांच हो, तो ठीकरा आसानी से क्रय विक्रय सहकारी समितियों पर डाला जा सके।
10 करोड़ का गेहूं गायब, ठेकेदार का टेंडर निरस्त
कांग्रेस सरकार के दौरान जयपुर जिले में गेहूं परिवहन ठेकेदार ने 10 करोड़ रुपए की लागत का गेहूं गायब कर दिया। विभाग के तत्कालीन अतिरिक्त मुख्य सचिव अभय कुमार की जांच में यह बात सामने आई थी। इसके बाद ठेकेदार का टेंडर निरस्त कर दिया गया। बताया जा रहा है कि क्रय विक्रय सहकारी समितियां और रसद विभाग के अधिकारी मिलकर पुराने ठेकेदार से ही गेहूं परिवहन करा रहे हैं। लाभार्थियों और डीलरों के बीच विवाद
अब स्थिति यह है कि जिस राशन डीलर के पास गेहूं कम पहुंचता है, वह कम लाभार्थियों को वितरण करता है। इससे लाभार्थियों और डीलरों के बीच आए दिन विवाद हो रहे हैं। डीलर भी यही कहते हैं कि इस बार गेहूं कम है और अगले महीने दो माह का गेहूं दिया जाएगा।
गायब होते हजारों क्विंटल गेहूं की रिपोर्ट
जुलाई- आवंटन: 15,661 क्विंटल, उठाव: 15,661 क्विंटल, डीलर के पास पहुंचने वाला: 57 क्विंटल अगस्त- आवंटन: 15,617 क्विंटल, उठाव: 15,215 क्विंटल, डीलर के पास पहुंचने वाला: 515 क्विंटल सितंबर- आवंटन: 13,298 क्विंटल, उठाव: 13,297 क्विंटल, डीलर के पास पहुंचने वाला: 1,583 क्विंटल