वर्तमान में कुछ पुलिस अधिकारियों का कहना है कि प्रदेश स्तर पर अपराधियों की धरपकड़ के लिए एक साथ अभियान चले, लेकिन अभियान में उन्हीं बदमाशों को पकड़ा जाए जो हत्या, बलात्कार, लूट, डकैती, अपहरण, वसूली जैसे मामलों में वांटेड चल रहे हैं या फिर ऐसे मामलों में जिनके खिलाफ कोर्ट से वारंट जारी हैं। अभियान खानापूर्ति के लिए नहीं होना चाहिए, जिसमें वर्षों से किसी के खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं और वो अब परिवार सहित कामकाज कर रहे हैं। ऐसे लोगों को गिरफ्तार करने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ भी कार्रवाई की जानी चाहिए।
करधनी थाना अंतर्गत बाइक सवार लुटेरा 26 जनवरी को पर्स छीनने के दौरान एक छात्रा के विरोध करने पर उसे घसीट ले गया। वारदात में छात्रा गंभीर रूप से घायल हो गई। पुलिस तलाश रही थी, तभी उसी लुटेरे ने 29 जनवरी को झोटवाड़ा में महिला से पर्स लूट लिया। यहां भी महिला सड़क पर गिर गई। घटना की तुरंत सूचना मिलने पर घेराबंदी करने से लुटेरा पकड़ा गया। पड़ताल में सामने आया कि मुरलीपुरा निवासी हिस्ट्रीशीटर शुभम सैनी 4 जनवरी को जेल से जमानत पर छूटा था। फिर 13 जनवरी को विधायकपुरी से बाइक चोरी की और बिना नंबर बदले ही शहर में घूम रहा था। इस अवधि में आधा दर्जन बाइक चोरी व लूट की वारदात को अंजाम भी दे चुका था। पुलिस की हिस्ट्रीशीटर व अन्य सक्रिय अपराधियों पर नजर कमजोर हुई तो वे लगातार वारदात करते गए। यह एक मामला नहीं है, प्रदेश में ऐसे कई मामले मिल जाएंगे।
जेल सूत्रों के मुताबिक प्रदेशभर की जेलों में पहले करीब 300 बंदी रोज आ रहे थे। अब उनकी संख्या बढ़कर साढ़े तीन सौ के लगभग हो गई है। इसी हिसाब से बंदियों के लिए शिथिलता होने से जमानत के मामले भी बढ़े हैं। इन दिनों करीब 250 बंदी रोजाना जमानत पर बाहर आ रहे हैं।
दिनेश एमएन, एडीजी (क्राइम) राजस्थान