जेडीए पूरी रपट को ही बंद करके काम करेगा। ऐसे में करीब डेढ़ लाख लोगों को अपना रोजाना का रास्ता बदलना होगा। दावा है कि छह माह में यह रपट बनकर तैयार होगी। 180 मीटर लम्बाई और 17 मीटर (टू लेन) चौड़ाई में दो मीटर ऊंचाई के बॉक्स डाले जाएंगे। इस रपट पर आवाजाही बंद होने से लोगों को मानसरोवर आने-जाने के लिए बीटू बाइपास चौराहा और गोपालपुरा बाइपास हाईलेवल ब्रिज का उपयोग करना होगा। हालांकि, अब यातायात पुलिस भी अनुमति देने के साथ ही इस रपट से आने-जाने वाले लोगों को रास्ते भी बताएगी।
इनको लगाना पड़ेगा तीन से पांच किमी का चक्कर
- महारानी फॉर्म, रघु विहार, शांति नगर, महावीर नगर, गायत्री नगर, दुर्गापुरा रहने वाले लोगों को अब मानसरोवर जाने के लिए तीन से पांच किमी का चक्कर लगाना होगा।
- पृथ्वीराज नगर-दक्षिण, इस्कॉन मंदिर रोड, पत्रकार कॉलोनी रहने वाले लोग विजय पथ होते हुए इस रपट से आते हैं।
- रीको इंडस्ट्रियल एरिया, मानसरोवर और मानसरोवर के सेक्टर सात, आठ, नौ, दस, 11 और 12 से लेकर मालपुरा गेट, सांगानेर आने-जाने वाले कई लोग भी इस रास्ते का उपयोग करते हैं।
- सचिवालय विहार, पटेल नगर, खेजड़ों का बांस, दादू दयाल नगर, आयकर नगर और मुहाना मंडी के सैकड़ों व्यापारी इसी रपट से आते-जाते हैं।
ये होगा फायदा
मानसून के दौरान रपट से करीब दो मीटर ऊपर तक पानी बहता है। ऐसे में आवाजाही प्रभावित होती है। दो मीटर के बॉक्स डालने से नदी की सतह से सड़क की ऊंचाई चार मीटर तक हो जाएगी। ऐसे में मानसून में आवाजाही प्राभावित नहीं होगी।
मुख्यमंत्री ने दिए थे निर्देश
मानसून के दौरान मुख्यमंत्री
भजनलाल शर्मा ने शहर का दौरा किया था। यहां रुककर भी देखा था। उसके बाद उन्होंने जेडीए अधिकारियों को रपट को ऊंचा करने के निर्देश दिए थे।
दूसरे शहरों के लिए भी होती है आवाजाही
शहर के ट्रैफिक से बचने के लिए अजमेर, दिल्ली और सीकर रोड पर जाने वाले लोग इसी रास्ते का प्रयोग करते हैं। सामान्य तौर पर यह रास्ता कम ट्रैफिक दबाव वाला माना जाता है। यातायात पुलिस की मानें तो दूसरे शहरों से भी रोज 10 से 12 हजार लोग रपट का आवाजाही के लिए प्रयोग करते हैं।