नीदरलैंड में मास्ट्रिच विश्वविद्यालय में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) शोधकर्ता डॉ डेविड लेवी ने शोध में कहा है कि वर्ष 2050 तक मैसाचुसेट्स इंसान और रोबोट के विवाह को वैधता देने वाला पहला राज्य होगा। अपनी थीसिस ’कृत्रिम सहभागियों के साथ अंतरंग संबंध’ में लेवी ने लिखा है कि रोबोट दिखने, कार्य व व्यक्तित्व में बिल्कुल मानव जैसे हो जाएंगे। ऐसे में लोगों को उनके प्यार होने लगेगा, लोग उनके साथ आत्मिक और शारीरिक संबंधों (Intimate Relationship With Robots) से भी परहेज नहीं करेंगे।
लेवी के अनुसार सुंदर शरीर, ज्ञान और व्यक्तित्व की ओर इंसान तेजी से आकर्षित होता है और यह सब ह्यूमनॉइड्स रोबोट में प्रोग्राम किया जा सकता है। मनोवैज्ञानिकों ने करीब एक दर्जन ऐसे बुनियादी कारणों की पहचान की है जिन्हें इंसान और रोबोट के संबंधों पर लागू किया जा सकता है।
इंसान असामान्य प्राणी… कुछ भी संभव
अटलांटा में जॉर्जिया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में रोबोटिस्ट रोनाल्ड आर्किन कहते हैं कि हमें नहीं लगता कि 2050 तक मानव-रोबोट विवाह कहीं भी वैध होगा। हालांकि उनका कहना है कि ’मनुष्य बेहद असामान्य प्राणी हैं, कभी भी कुछ भी कर सकता है। दो-चार पढ़े लिखे और ओहदे वाले लोगों के ऐसा करते ही महिला या पुरुष रोबोट से शादी का सिलसिला शुरू हो सकता है।’
इंसान-रोबोट संबंधों के पक्ष में तर्क
वैज्ञानिकों के अनुसार महिला या पुरुष रोबोट बिना छुट्टी सेवा में उपलब्ध रहेगा। लोग अपने सपनों की लड़की (ड्रीमगर्ल) को जरूरत के हिसाब से प्रोग्राम कर सकते हैं। रोबोट पति या पत्नी बीमार और बूढ़े नहीं होंगे। आप प्रेमी-प्रेमिका के रूप में रोबोट से ऊब जाएं तो दूसरा चेहरा डिजाइन करवा सकेंगे।
इंसान-रोबोट संबंधों के खिलाफ तर्क
समाजशास्त्री रोबोट और इंसान के संबंधों के पक्ष में नहीं हैं। उनका कहना है कि मशीन कभी मानवीय नहीं हो सकती। परिवार में पति-पत्नी, बच्चों के साथ जो आत्मीयता होती है वो रोबोट से कहां आएगी? जिनकी शादी नहीं हुई रोबोट भले उनका जीवन कुछ आसान कर सकता है, लेकिन परिवारिक सुख शायद ही दे पाए। विज्ञान हर बार सृष्टि को चुनौती देता और बार-बार धोखा खाता है।
महिला रोबोट में कृत्रिम गर्भ पर हो रहा काम
बोस्टन डायनेमिक्स नामक कंपनी सबसे बेहतरीन और प्रखर मेधा वाले ह्यूमनॉइड्स रोबोट डिजाइन कर रही है। कंपनी में वैज्ञानिक महिला रोबोट में आइवीएफ की तरह कृत्रिम गर्भ विकसित करने में जुटे हैं। वे वास्तविक बच्चेदानी की तरह कृत्रिम बच्चेदानी को डेवलप कर रहे हैं। इसमें बॉडी टेंपरेचर के साथ कई तरह के हार्मोंस पर प्रयोग किया जा रहा है।
अमरीका-जापान में रोबोट पर बढ़ी निर्भरता
ह्यूमनॉइड्स एआइ रोबोट खेती, कारखानों में काम, मकान बनाना, खाना बनाना, घरों में झाड़ू-पोंछा, बच्चों की पढ़ाई और मनोरंजन तक करा रहे हैं। चीन और जापान में अस्पतालों में नर्स रोबोट मरीजों का ध्यान रखते हैं। मानवीय संबंधों में जिस तरह रोबोट का दखल बढ़ रहा है, कुछ भी असंभव नहीं है।