केरल सत्र चलाने में सबसे आगे
सत्र चलाने में सबसे आगे जो राज्य है, उनमें केरल सबसे अव्वल है। केरल में 2017-23 की अवधि के दौरान प्रतिवर्ष औसतन 44 दिन विधानसभा सत्र चला था। 2017 से लेकर 2023 के बीच राजस्थान से ज्यादा जिन राज्याें में विधानसभा सत्र चले हैं, उनमें केरल के अलावा बिहार, कर्नाटक, महाराष्ट्र, उडि़सा, तमिलनाडू, पश्चिम बंगाल शामिल है। पीआरएस एजेंसी के विश्लेषण के अनुसार सबसे कम सत्र जिन राज्यों में चले हैं, उन पांच राज्यों में हरियाणा, पंजाब, सिक्किम, त्रिपुरा और उत्तराखंड शामिल है। यहां विधानसभा सत्र औसतन दस से पन्द्रह दिन के बीच ही चले।राजस्थान में दिन घटे तो समय भी घटा
राज्य विधानसभा का सत्र चलना कम हुआ तो सदन की कार्यवाही में लगने वाला समय भी कम होता गया। राजस्थान विधानसभा के गठन के बाद पहली सरकार के पांच साल में सत्र 303 दिन चला, इस दौरान विधानसभा 1182.02 घंटे चली। दूसरी विधानसभा पांच साल में 306 दिन चली। इस दौरान सदन में 1665.57 घंटे काम हुआ। इसके बाद ऐसी कोई सरकार नहीं आई, जिसने विधानसभा का सत्र 1600 घंटे से ज्यादा चलाया हो। जो सरकारें पूरी पांच साल चली, उनमें सबसे कम समय विधानसभा चलाने वाली सरकार कांग्रेस की रही। 2008 से 2013 के बीच विधानसभा 119 दिन चली। इस दौरान सदन में कुल 781 घंटे ही काम हुआ।Rajasthan Politics: विधानसभा सत्र चलाने से बच रही सरकारें, जनता के मुद्दे होते जा रहे गौण
जिन राज्यों में सत्र चलाने के नियम बने हुए, वहां ये रहे हाल ( 2017-23)
राज्य- नियमानुसार कितने दिन चलनी चाहिए- कितने दिन चलीकर्नाटक- 60- 35
उड़ीसा- 60-40
पंजाब- 40-13
राजस्थान- 60-29
उत्तर प्रदेश- 90-19
हिमाचल प्रदेश- 35-28