ऐसा हो तो दावे बने हकीकत
किसान प्रतिनिधि रामेश्वर चौधरी का कहना है कि इसी मजबूरी के चलते किसान ही माली हालत और खराब हो जाती है। किसान प्रतिनिधियों का यह कहना है कि किसानों की आमदनी बढ़ाने के सरकारी दावे और कोशिशें तब तक हकीकत में नहीं बदल सकते जब तक किसानों से उनकी पूरी उपज न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदने की व्यवस्था नहीं कर दी जाएगी। इसके लिए सभी ग्राम सेवा सहकारी समितियों पर स्थायी खरीद केन्द्र बनाए जाने चाहिए। इतना ही नहीं, इन केन्द्रों पर सालभर खरीद की जानी चाहिए। किसान महापंचायत की यह मांग है कि सरकार किसानों से उनकी पूरी उपज न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदने की व्यवस्था करे।