scriptराजस्थान हाईकोर्ट : इस मामले में हासिल किया देशभर में दूसरा स्थान, जानें पहले और तीसरे पर कौन | Rajasthan High Court ranks second in the country after Odisha in average number of decisions per judge. | Patrika News
जयपुर

राजस्थान हाईकोर्ट : इस मामले में हासिल किया देशभर में दूसरा स्थान, जानें पहले और तीसरे पर कौन

राजस्थान हाईकोर्ट (Rajasthan High Court) में हर न्यायाधीश ने रोजाना औसतन 25 से ज्यादा फैसले सुनाए। प्रति न्यायाधीश फैसलों के औसत में राजस्थान हाईकोर्ट ओडिशा के बाद देश में दूसरा स्थान पर है।

जयपुरApr 14, 2024 / 03:56 pm

Suman Saurabh

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जयपुर। देश के प्रधान न्यायाधीश डी.वाई.चन्द्रचूड ने हाल ही न्यायाधीशों के फैसले लंबे समय तक रिजर्व रखने पर सवाल उठाया, वहीं राजस्थान हाईकोर्ट में हर न्यायाधीश ने रोजाना औसतन 25 से ज्यादा फैसले सुनाए। प्रति न्यायाधीश फैसलों के औसत में राजस्थान हाईकोर्ट ओडिशा के बाद देश में दूसरा स्थान पर है।

राजस्थान हाईकोर्ट ने पिछले साल 1,71,730 प्रकरणों का निस्तारण किया। राजस्थान हाईकोर्ट में पिछले साल हर न्यायाधीश ने 5366 से अधिक फैसले सुनाए। सालाना निस्तारण में प्रति न्यायाधीश के औसत के हिसाब से राजस्थान हाईकोर्ट जहां ओडिशा से करीब 250 पीछे है, वही मद्रास हाईकोर्ट से करीब 250 आगे हैं।

राजस्थान हाईकोर्ट का यह औसत न्यायाधीशों के 32 पदों के हिसाब से निकाला गया।

राजस्थान हाईकोर्ट में न्यायाधीशों के प्रकरण निस्तारण की रफ्तार तेज होने के बावजूद यहां 6,59,934 मुकदमे लंबित हैं। न्यायाधीश के 50 पद हैं, जिनमें से 18 खाली हैं। ये पद भरे होते तो लंबित मुकदमों की संख्या 96, 588 और कम होती।

 

ओडिशा, राजस्थान व मद्रास हाईकोर्ट ही ऐसे हैं, जहां प्रति न्यायाधीश फैसलों का सालाना औसत 5 हजार से ऊपर। प्रति न्यायाधीश फैसलों के औसत में राजस्थान से वे सभी हाईकोर्ट पीछे हैं, जिनमें न्यायाधीशों की संख्या काफी अधिक है। देश में सबसे अधिक न्यायाधीशों वाला इलाहाबाद और उसके बाद न्यायाधीशों की संख्या में देश में दूसरे नंबर पर आने वाला बॉम्बे हाईकोर्ट भी शामिल है। मद्रास हाईकोर्ट भी इसमें राजस्थान से पीछे है। इसके अलावा 12 हाईकोर्ट ऐसे भी हैं, जहां प्रति न्यायाधीश फैसलों का सालाना औसत दो हजार से भी कम हैं। पांच हाईकोर्ट तो ऐसे हैं, जहां यह औसत एक हजार से भी कम है।

 

राजस्थान में प्रकरणों को सुनवाई के बाद फैसले के लिए सुरक्षित रखने की परंपरा कम ही रही। इनमें जिला एवं सत्र न्यायाधीश रहे गणपत सिंह भंडारी जैसे न्यायिक अधिकारी और न्यायाधीश भी शामिल हैं, जिन्होंने फैसला चाहे जितना लंबा हो पूरा अदालत में ही लिखाया। भंडारी बताते हैं कि वे तो कई बार रात 12 बजे तक भी फैसला लिखाते थे और तब तक वकील भी कोर्ट में मौजूद रहते थे।

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